मोबाइल, लैपटॉप के साथ बढ़ा खतरा! युवाओं में दिख रहे बुढ़ापे के लक्षण, आंखों के साथ बिगड़ रही है गर्दन की सेहत

Update: 2025-08-17 11:40 GMT

 

 भीलवाड़ा राजकुमार माली जिले में मोबाइल और लैपटॉप पर घंटों चिपके रहने की लत गर्दन के मरीजों की गिनती बढ़ा रही है। इस शौक में फंसे लोगों की गर्दन का कवरेचर रिवर्स (उल्टी दिशा में) हो रहा है। इसलिए मरीजों की गर्दन खिंचाव से झुक रही हैऐसी के साथ अन्य शाररिक  विषमताएं सामने आ रही हे ,जिनका दर्द बढ़ता जा रहा हे .

सरकारी अस्पताल के अलावा निजी अस्पतालों के फिजियोथैरेपी विभाग में गर्दन दर्द के मरीजों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। इसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। ज्यादातर मरीजों की शिकायत रहती है गर्दन सीधे रखने में दर्द होता है, ऐसा लग रहा गर्दन की हड्डी लंबी हो गई है।

युवा सबसे ज्यादा शिकार

बापूनगर भीलवाड़ा में न्यूरो थैरेपिस्ट दिनेश परिहार कहते हैं कि मोबाइल व लैपटॉप से घंटों चिपकने का शौक युवाओं को जवानी में ही बूढ़ा कर रहा है। अस्पताल में इस मामले में 25 से 35 साल के मरीज ज्यादा रहते हैं। आमतौर पर स्पाइनल कॉड में बीमारी उम्र ढलने के बाद पनपती थी। अब मोबाइल, लैपटॉप, टैब बच्चे से लेकर उम्रदराजों के हाथ में है। इन डिवाइस को लोगों से समय काटने का जरिया बना लिया है। इसलिए फुर्सत में आते ही इनसे चिपकते हैं तो गर्दन की बीमारी से जूझना पड़ता है। उन्होंने बताया को कई मिडिया कर्मियों को भी ऐसी शिकायत होने लगी हे 

पुलिस कर्मी भी दर्द के होने लगे शिकार 

दिन रात की ड्यूटी की वजह से पुलिसकर्मी शुगर और बीपी की बीमारी की चपेट में तो आते ही हैं। अब महकमा हाईटेक हो गया तो अधिकारियों के कार्यालयों और थानों में कंप्यूटर पर काम करने वाले पुलिसकर्मियों में गर्दन की बीमारी शुरू हो गई है। नाम उजागर नहीं करने पर पुलिसकर्मियों ने बताया महकमे में हर काम अब ऑनलाइन हो गया है।एफआइआर, रोजनामचा के अलावा फोर्स की लोकेशन तक मोबाइल और कप्यूटर के जरिए चल रही है। चौबीस घंटे की ड्यूटी होने की वजह से सलीके से इलाज के लिए वक्त नहीं मिलता तो दर्द होने पर पेन किलर से काम चलाते हैं।



लांग टाइम सिटिंग से नेक और बेक पैन

डॉ. चंद्रजीतसिंह राणावत .न्यूरो फिजिशियन MGH  ने बताया कि मोबाइल और लैपटॉप पर लांग टाइम सिटिंग से नेक और बेक पैन होना तय है। यह एक तरह से संक्रमण है। गलत पॉस्चर भी इसके लिए बड़ी वजह है। इसके लिए एक्सरसाइज, एक्टिविटी जरूरी है। नर्व का दब जाना, डिस्क कोलेप्स का लक्षण भी आ रहे हैं।

स्कूलों में एक पीरियड 40-45 मिनट का इसीलिए होता है कि बच्चा मूव आउट कर सकें। बच्चों को गैजेट्स देने से उनका ब्रेन का विकास कम होता है। सभी उम्र के लोगों को कम से कम एक घंटे वर्कआउट ग्राउंड पर करें तो बहुत बेहतर है। फिजिकल एक्टिविटी से भी काफी बीमारियों से बचा जा सकता है।


बागड़ हॉस्पिटल की नेत्र विशेषज्ञ  तरुणा दरगड़ का कहना हे की अगर आपको भी सुबह उठते ही फोन देखने की आदत है तो इसे तुरंत बदल दीजिए। इससे न सिर्फ आंखों पर असर पड़ता है बल्कि गर्दन में दर्द और अकड़न की समस्या भी बढ़ जाती है। अगर समय रहते इस समस्या का इलाज न किया जाए तो धीरे-धीरे ये हमारी रीढ़ की हड्डी को भी प्रभावित कर सकती है।जो लोग पूरे दिन अपने सिर को झुकाकर एक ही पोजिशन में काम करते हैं उनकी गर्दन की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।

एक्सपर्ट के मुताबिक, सुबह-सुबह फोन देखने से आंखों की सेहत कमजोर होती है। इसके साथ-साथ जो लोग पूरे दिन घंटों तक अपनी गर्दन को नीचे झुकाकर लैपटॉप और कंप्यूटरों पर काम करते हैं तो उनकी आंखे ही नहीं गर्दन और रीढ़ की हड्डियों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

अन्य समस्याएं

कमजोर आंखें- अगर हम बिना ब्रेक लिए फोन और लैपटॉप की स्क्रीन पर देखते रहेंगे तो इससे आंखों की मसल्स कमजोर होने लगती हैं और सिकुड़ने लगती है। इससे देखने में भी दिक्कत होती है और आंखों में दर्द भी होता है।

सिर दर्द- हर समय सेम पोजिशन में बैठकर काम करने से सिर में दर्द की समस्या बढ़ जाती है क्योंकि गर्दन में झुकाव होने से सिर का ब्लड फ्लो धीमा हो जाता है।

कंधों में दर्द- एक जगह बैठे-बैठे काम करने से कंधों और कमर का दर्द भी बढ़ जाता है। ये गर्दन में भी दर्द का कारण बनती है।

 



 


कैसे दूर होगी दिक्कत?

स्ट्रेचिंग- रोजाना अपने शरीर को स्ट्रेच करें। इससे बॉडी की अकड़न दूर होती है और मांसपेशियां खुलती है। सीटिंग जॉब्स वालों को अपनी सीट पर बैठे-बैठे हर 1 घंटे 4-5 मिनट हाथों और गर्दन को स्ट्रेच करना चाहिए। इससे दर्द ज्यादा नहीं बढ़ेगा।

बैग टांगने का तरीका- अपने बैग को कभी भी एक कंधे पर न टांगे। इसे दोनों कंधों पर बारी-बारी से टांगे ताकि एक तरह दर्द न हो।

कैल्शियम डाइट- अगर आपको दूध से किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है तो डाइट में डेयरी फूड्स को शामिल करें। ये हड्डियों को पोषण प्रदान करती है और दर्द से बचाती है।

विटामिन-डी- इसके लिए आपको रोजाना धूप में बैठना चाहिए। धूप की मदद से शरीर को प्राकृतिक रूप से विटामिन-डी मिलता है। ये हमारी हड्डियों के लिए बहुत जरूरी तत्व होता है।

विशेषज्ञ की सलाह 

> “मोबाइल और लैपटॉप से दोस्ती करें, लेकिन सीमाएं तय करें। शरीर की कीमत पर टेक्नोलॉजी का उपयोग न करें।”

> — *डॉ.  चंद्रजीतसिंह राणावत  .न्यूरो फिजिशियन MGH, भीलवाड़ा*







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### 📰 **मोबाइल और लैपटॉप की लत बना रही युवाओं को समय से पहले बूढ़ा**

**गर्दन दर्द, आंखों की कमजोरी और रीढ़ की समस्याओं में तेजी से इजाफा**

**भीलवाड़ा।** मोबाइल और लैपटॉप की अत्यधिक लत युवाओं के लिए बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बनती जा रही है। शहर के अस्पतालों में गर्दन, पीठ और आंखों से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक झुककर काम करने से स्पाइन का नेचुरल कर्व रिवर्स हो रहा है, जिससे शरीर में तनाव और अकड़न की गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही है।

#### **युवाओं में सबसे ज्यादा असर, 25 से 35 आयु वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित**

बापूनगर स्थित न्यूरोथैरेपिस्ट डॉ. दिनेश परिहार ने बताया कि आजकल 25 से 35 साल की उम्र के युवाओं में स्पाइन और गर्दन की समस्याएं आम हो गई हैं। मोबाइल और लैपटॉप के अत्यधिक उपयोग ने शरीर की प्राकृतिक स्थिति को बिगाड़ दिया है। “जवानी में ही बुढ़ापे जैसे लक्षण दिखाई देने लगे हैं,” उन्होंने कहा।

#### **पुलिसकर्मी और मीडिया कर्मी भी प्रभावित**

पुलिस विभाग के सूत्रों ने बताया कि डिजिटल कामकाज बढ़ने के चलते अब थाना और कार्यालयों में कंप्यूटर पर लगातार काम करना पड़ता है। 12-12 घंटे की ड्यूटी के बीच इलाज के लिए समय नहीं मिल पाता, इसलिए पेन किलर से ही दर्द को दबाना पड़ता है।

#### **आंखों और दिमाग पर भी असर**

बागड़ हॉस्पिटल की नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अरुणा दरगड़ ने बताया कि सुबह उठते ही मोबाइल देखने की आदत आंखों और गर्दन पर भारी पड़ती है। लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखों की मांसपेशियां कमजोर होती हैं, और सिर दर्द की समस्या भी उत्पन्न होती है।

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### 📊 **बीमारियों की सूची जो मोबाइल-लैपटॉप से बढ़ रही हैं**

* गर्दन का कर्व रिवर्स होना

* आंखों में जलन, धुंधलापन

* रीढ़ की हड्डी में तनाव और डिस्क स्लिप

* सिर दर्द और माइग्रेन

* कंधे और कमर में अकड़न

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### ✅ **बचाव के उपाय**

* हर घंटे 5 मिनट स्ट्रेचिंग करें

* एक ही पॉज़िशन में देर तक न बैठें

* सुबह की धूप में 15-20 मिनट समय बिताएं

* दूध, दही, पनीर जैसे कैल्शियम युक्त आहार लें

* मोबाइल या लैपटॉप से आंखें हटाकर हर 20 मिनट पर ब्रेक लें

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