भीलवाड़ा सहकारी भंडार में दवा घोटाले की आंच तेज – अब मुख्यमंत्री तक पहुँचाने की तैयारी

Update: 2025-09-17 06:00 GMT

  

 भीलवाड़ा (हलचल)। 

सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार भीलवाड़ा में बीते पांच वर्षों से दवा खरीद के नाम पर खेला गया शातिराना खेल अब खुलकर सामने आ चुका है। नियमों को ताक पर रखकर हुई इस गड़बड़ी ने न केवल भंडार को करोड़ों का चूना लगाया, बल्कि सरकारी स्तर पर अस्पतालों में हुई दवा खरीद को भी शक के घेरे में खड़ा कर दिया है। आरोपों का दायरा इतना गंभीर है कि अब पूरे मामले की गूंज मुख्यमंत्री तक पहुँचाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं।

 जांच के आदेश से मचा हड़कंपअजमेर स्थित अतिरिक्त रजिस्ट्रार सहकारी समितियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश जारी किए हैं। इसके लिए सेंट्रल कॉ-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के अतिरिक्त अधिशाषी अधिकारी **आशुतोष मेहता** और भीलवाड़ा क्रय-विक्रय सहकारी समिति के सहायक रजिस्ट्रार **भंवरसिंह राठौड़** को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। आदेश मिलते ही भंडार कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है।

जांच अधिकारियों ने भंडार से पांच वर्षों का पूरा रिकॉर्ड मांगा है। इसमें दवा खरीद की प्रक्रिया, विभाग और कॉनफैड से जारी आदेश, औषधि नियंत्रक की रिपोर्ट, कंपनियों की स्कीम, दर निर्धारण, संविदा कार्मिकों की नियुक्तियां, किराए पर लिए भवनों का रिकॉर्ड, और वित्तीय लेन-देन की डिटेल शामिल है।

आरोपों की परत-दर-परत कहानी

1. **नियम विरुद्ध खरीद:** एक ही व्यक्ति को फायदा पहुँचाने के लिए अलग-अलग नामों से फर्म खोलकर दवा खरीद।

2. **गुणवत्ताहीन और अनावश्यक दवाइयाँ:** बाजार में उपलब्ध दवाओं से महंगी और घटिया गुणवत्ता की दवाएँ उठाई गईं।

3. **महंगे सौदे और स्कीम:** ऊँचे दाम पर दवाइयाँ खरीदकर कंपनियों की स्कीम का फायदा उठाया गया, लेकिन नुकसान भंडार और उपभोक्ताओं को उठाना पड़ा।

4. **संविदा नियुक्तियाँ:** 34 स्टाफ में केवल 4 सरकारी कर्मचारी हैं, शेष सभी संविदा पर। नियुक्तियों में भी नियमों की जमकर अनदेखी।

5. **भवन किराए का खेल:** नियमों को दरकिनार कर निजी भवन किराए पर लेकर मोटी रकम का भुगतान।

  जिम्मेदारी तय होगी

जांच अधिकारियों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि वे आर्थिक नुकसान की जिम्मेदारी तय करें और दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर रिपोर्ट विभाग को सौंपें। माना जा रहा है कि शिकायतों का अंबार इतना बड़ा था कि अतिरिक्त रजिस्ट्रार को मजबूरी में कार्रवाई करनी पड़ी।

 राजनीतिक पकड़ से बचता रहा मामला

सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इतने सालों तक मामले को दबाकर क्यों रखा गया? सूत्र बताते हैं कि राजनीतिक पहुंच और दबाव के चलते न तो अस्पतालों की खरीद की जांच हो पाई और न ही भंडार में गड़बड़ियों पर अंकुश लगाया जा सका। यही वजह है कि अब पीड़ित पक्ष और शिकायतकर्ता इस पूरे मामले को **मुख्यमंत्री तक ले जाने की तैयारी में हैं।

 बड़ा खुलासा होना तय

भंडार में तैयार किए जा रहे दस्तावेज और खरीदी गई दवाओं की गुणवत्ता रिपोर्ट खुलासा कर सकती है कि आखिर इस पूरे खेल में किस-किस ने फायदा उठाया और किसे नुकसान झेलना पड़ा। कर्मचारियों में दहशत है कि कहीं यह कार्रवाई कई बड़े चेहरों तक न पहुँच जाए।

भीलवाड़ा सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार का यह मामला महज एक घोटाला नहीं, बल्कि यह सवाल भी है कि जनता के पैसे और स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों पर कब और कैसी कार्रवाई होगी। जांच अब शुरू हो चुकी है, लेकिन क्या यह रसूखदारों तक पहुँचेगी या फिर किसी समझौते में दबा दी जाएगी – यह देखने वाली बात होगी। यह पूरा मामला अब भीलवाड़ा से निकलकर जयपुर तक सुर्खियाँ बटोर रहा है और अगर राजनीतिक दबाव न आया तो आने वाले दिनों में **एक बड़ा खुलासा और कार्रवाई तय मानी जा रही है।**

  जांच का फोकस

✔️ भंडार को हुए आर्थिक नुकसान का आकलन।

✔️ दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करना।

✔️ कंपनियों की स्कीम व दर निर्धारण का खुलासा।

 कर्मचारियों में खौफ

▪️ भंडार में कुल 34 कर्मचारी – 30 संविदा पर, केवल 4 स्थायी।

▪️ नियम विरुद्ध नियुक्तियों की जांच से घबराहट।

▪️ जांच आदेश मिलते ही कर्मचारियों में हलचल और दहशत का माहौल।

 सबसे बड़ा सवाल

क्या जांच केवल छोटे कर्मचारियों तक सीमित रहेगी

या फिर बड़े रसूखदार भी कटघरे में खड़े होंगे?

👉 क्या राजनीतिक दबाव एक बार फिर पूरे मामले को दबा देगा

या इस बार होगा **सच का खुलासा**?

यह मामला अब भीलवाड़ा से निकलकर सीधे जयपुर की गलियारों तक पहुँच चुका है।

अगर दबाव नहीं पड़ा तो आने वाले दिनों में **बड़ा खुलासा और कार्रवाई तय** मानी जा रही है।

 


 

Similar News