बढ़ रहा स्लीप डिवोर्स का चलन: अलग सोने से नींद बेहतर, लेकिन मानसिक सेहत पर पड़ सकता है असर

Update: 2025-11-30 18:02 GMT



स्वीडन और नॉर्वे जैसे नॉर्डिक देशों में हाल के वर्षों में स्लीप डिवोर्स यानी साथी से अलग सोने का चलन तेजी से बढ़ा है। वहां के लोगों के बीच यह समझ बढ़ रही है कि अच्छी और निर्बाध नींद जीवन की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करती है। जिन लोगों को अपने साथी के खर्राटों, अलग सोने के समय, उठने-बैठने की आदतों या स्वास्थ्य समस्याओं के कारण नींद में बाधा आती है, वे आरामदायक नींद के लिए अलग सोने का विकल्प चुन रहे हैं।

यह क्या है

स्लीप डिवोर्स का मतलब यह नहीं है कि रिश्ते टूट रहे हैं, बल्कि इसका अर्थ सिर्फ इतना है कि कपल रात में साथ नहीं सोते। कुछ लोग अलग बिस्तरों का सहारा लेते हैं, कुछ के लिए अलग कमरा समाधान बन जाता है। उनका मकसद है कि दोनों को अपनी जरूरत के अनुसार नींद मिल सके। कई बार यह तरीका दिनभर के मूड, कामकाज और मानसिक शांति पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

फायदे और नुकसान

हालांकि अलग सोना हर जोड़े के लिए सही साबित हो, यह जरूरी नहीं है। इसे लेकर वैज्ञानिक और शोधकर्ता लगातार अध्ययन कर रहे हैं। ताइवान में हुए एक बड़े अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उत्तरी ताइवान के आठ सौ साठ कपल्स को शामिल किया। इन सभी से उनकी नींद की आदतों, मानसिक स्थिति, रिश्ते की संतुष्टि और खुशी के स्तर से जुड़ी जानकारी ली गई। साथ ही नींद की गुणवत्ता मापने के लिए कई वैज्ञानिक मापदंडों का प्रयोग किया गया।




 

अध्ययन में क्या मिला

रिसर्च की सबसे अहम खोज यह रही कि वृद्ध कपल जिनके बीच लंबे समय से साझेदारी थी और जो अलग कमरों में सो रहे थे, उनकी मानसिक सेहत उन कपल्स की तुलना में कमजोर पाई गई, जो एक ही कमरे में सोना जारी रखते थे। इससे संकेत मिलता है कि उम्र बढ़ने के साथ भावनात्मक सुरक्षा और संग-साथ मानसिक शांति में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

इससे यह भी समझ में आया कि नींद भले अलग सोने से बेहतर हो जाए, पर मनोवैज्ञानिक स्तर पर अकेलापन, दूरी और भावनात्मक कमजोरी धीरे-धीरे बढ़ सकती है। कपल्स में संवाद कम होता है, दिन का तनाव साझा नहीं होता और अनजाने में आपसी गर्माहट में कमी आने लगती है।

साथ सोने का महत्व

विशेषज्ञ बताते हैं कि कपल्स का साथ सोना सिर्फ नींद का मामला नहीं है, बल्कि यह रिश्ते की एक महत्वपूर्ण सामूहिक आदत है। रात को एक ही कमरे में होना, दिनभर के अनुभव साझा करना, एक-दूसरे की नजदीकी महसूस करना और सोते समय सुरक्षा का एहसास रिश्तों को गहराई देता है। भले इसकी वजह से कभी-कभी नींद में बाधा आए, लेकिन यह भावनात्मक जुड़ाव लंबे समय में मानसिक सेहत को मजबूत रखता है।




 

वैज्ञानिकों की राय

आरएएनडी कॉर्पोरेशन की वरिष्ठ वैज्ञानिक वेंडी ट्रॉक्सेल कहती हैं कि स्लीप डिवोर्स को अक्सर रिश्तों में दूरी के संकेत की तरह देखा जाता है। उन्होंने बताया कि नींद और रिश्ते दोनों एक-दूसरे के साथ जुड़े होते हैं और जीवनभर सेहत पर असर डालते हैं। उनका मानना है कि यदि नींद की समस्या है, तो उसे बातचीत के जरिए हल करना बेहतर होता है, न कि बिना समझे अलग सोने को स्थायी समाधान बना लेना।



स्लीप डिवोर्स कुछ स्थितियों में नींद सुधार सकता है, लेकिन यह हर कपल के लिए सही नहीं है। रिश्ते की मजबूती, उम्र, मानसिक स्थिति और भावनात्मक जरूरतें यह तय करती हैं कि साथ सोना बेहतर है या अलग। विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी भी निर्णय से पहले खुलकर बातचीत करना और दोनों पार्टनरों की जरूरतों को समझना सबसे जरूरी कदम है।

Tags:    

Similar News