क्या होता है रूममेट सिंड्रोम, ये किस तरह बन जाता है रिलेशनशिप के लिए खतरा!

By :  vijay
Update: 2024-09-19 18:47 GMT

पति-पत्नी या लव रिलेशनशिप में दिक्कतों का होना नॉर्मल है. कहते हैं कि झगड़ा होना भी रिलेशन में प्यार होने का सबूत देता है. रिश्ते में प्यार, विश्वास और एक-दूसरे की चिंता इसे मजबूत बनाते हैं. पर झगड़ों से बनी नाराजगी को जितना जल्दी दूर कर लिया जाए उतना ही बेहतर होता है. पर कभी-कभी सिचुएशन ऐसी बन जाती है कि कपल के बीच आई दूरी आसानी से खत्म नहीं होती. कुछ लोग घर में साथ होकर भी साथ नहीं होते. वो एक-दूसरे से बात नहीं करते हैं या फिर उनके बीच इमोशनल अटैचमेंट भी कम हो जाता है. इस तरह के व्यवहार को कई नाम दिए गए हैं.

इस तरह का रिलेशनशिप रूममेट सिंड्रोम का लक्षण है. रिलेशनशिप के लिए इस तरह का शब्द काफी अलग है पर आज के समय में लोग इसका शिकार होकर अपने रिलेशनशिप को खतरे में डाल रहे हैं. यहां हम बताने जा रहे हैं कि रिलेशन में पार्टनर की कौन सी आदतें रूममेट सिंड्रोम का संकेत देती हैं. इसके अलावा किन तरीकों से इससे छुटकारा पाया जा सकता है.

क्या होता है रूममेट सिंड्रोम 

रूममेट सिंड्रोम का शिकार बनने पर पार्टनर रिलेशन में एक-दूसरे से अलग तरह का व्यवहार करने लगते हैं. वे एक-दूसरे के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करने लगते हैं. इसे नॉर्मली लेना रिलेशन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. रिलेशन में रोमांच का कम होना, उत्साह न होना, इमोशनली अटैच न होना, संचार कम होना, शारीरिक संबंध का अभाव, साथ टाइम न बिताना और साथ रहकर भी नजरअंदाज करना जैसे संकेत बताते हैं कि आप रूममेट सिंड्रोम की चपेट में हैं. दरअसल रूम में साथ रहने वाले लोग ऐसा व्यवहार अपनाते हैं पर लव या मैरिज रिलेशनशिप में ऐसा करने से रिश्ता खत्म हो जाता है.

ऐसा तब होता है जब आप एक ही घर में दोस्त की तरह रहते हैं और सिर्फ जिम्मेदारियों को निभाते हैं. ऐसा होने के कई कारण है जिसमें सबसे बड़ी वजह बिजी लाइफ है. जब रिश्ता नया होता है तो पार्टनर करीब रहते हैं और टाइम देते हैं. पर धीरे-धीरे चीजें बदलने लगती हैं. अगर आपका पार्टनर इस तरह व्यवहार करता है तो इसका ये मतलब नहीं है कि आपके रिलेशन में प्यार कम हो गया है. इसकी बजाय आपको अपने रिश्ते पर काम करना चाहिए.

रूममेट सिंड्रोम से कैसे निपटें

– अगर आपका पार्टनर रूममेट सिंड्रोम की चपेट में है तो इससे निपटने के लिए पहले स्वीकार करें कि आप दोनों के बीच परेशानियां हैं.

– इससे बचने के लिए सबसे पहले अपने पार्टनर को टाइम देना शुरू करें. उससे बात करें क्योंकि मन की बात बाहर लाना और इससे सुनना एक कारगर थेरेपी है. मन हल्का होने पर गलतफहमियां भी दूर हो जाती हैं.

– बाहर घूमने का प्लान बनाएं. नई जगह की हवा और रहन-सहन स्ट्रेस को कम करके रिलेशन में पॉजिटिविटी ला सकता है. ट्रैवलिंग हमें खुद और पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का मौका देती है.

– पार्टनर को समझने की कोशिश करें क्योंकि अगर आप इगो में रहते हैं तो इससे रिश्ते को नुकसान पहुंचता है और ये धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर पहुंच जाता है.

– हर सिचुएशन से निपटने के लिए हमेशा दिमाग का इस्तेमाल न करें. रिलेशनशिप में ऐसा होने पर कभी-कभी इमोशनल होकर भी फैसला लेना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से आप सामने वाले के इमोशन्स को भी समझ पाते हैं.

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