शुभकामना… श्राद्धपक्ष की
सुबह सुबह एक फोन आ गया
एक नेताजी का..
बोले कि कैसे हो..?
मैंने कहा जी अभी तक तो ठीक ही था.. आगे का पता नहीं।
बोले " हा हा हा ..ठीक है।
एक समस्या थी सोचा कि आपको फोन करुं…?
मैने सोचा .. जो खुद ही एक समस्या है, भला उसको क्या समस्या होगी.. और होगी भी तो इनका क्या कर लेगी ?
ये एक छोटे मोटे स्वघोषित नेता थे जो फेमस होने के शार्टकट तरीकों पर शोध कर रहे थे
"आवाज आ रही है" बे बोले
उनकी तो आवाज आ रही थी, मेरी ही चली गयी...
बहरहाल उन्हौने अपनी समस्या रखी… "भाई साहब अभी श्राद्ध पक्ष चल रहे है। अगर हम "श्राद्ध की शुभकामनाऔ" के फ्लेक्स छपवाये तो फोटो किसका छपवाना चाहिये ..
मैने कहा.."सर मैं समझा नहीं..!!
वे बोले कि जैसे हम जन्माष्टमी पर कृष्ण जी का, गणेश चतुर्थी पर गणेश जी का, तेजा दशमी पर तेजाजी का फोटो लगाते है ना… अब इस श्राद्धपक्ष में किसका फोटो लगाये ?
मैने कहा.. आपका लगा दो…
बोले.. मेरा तो एक साईड में लगाना ही है ..आप दूसरी साईड के लिए बताऔ .. इसी के लिए फोन किया है ।
अब मुझे समझ आ गया, ये बस छपना चाहते है । ये हर उत्सव, हर अवसर पर फ्लेक्स छपवाकर बधाई, शुभकामना संदेश देते है ... जिसका पीछे एक ही भाव है " मै तुम्है बधाई दे रहा हूं, मौका आ जाये तो तुम मुझे वोट देना।
नेताऔ द्वारा फ्लेक्स पर दी गयी शुभकामनाएं बहुत फलती है और ये नहीं देगें तो सब त्यौहार फीके हो जायेगें, हम कहीं के नहीं रहेगें।
कहते है कि पुराने समय में जब फ्लेक्स नहीं चलते थे तब त्यौहार के दिनों, ऐसी शुभकामनाऔ के अभाव के कारण लोग उदास और त्यौहार नीरस होते थे।
पहले हृदय से शुभकामनाएं दी जाती थी। असरदार भी होती थी। अब तो शुभकामनाएं "फ्लेक्सिबल" हो गयी है। कहीं भी लचक कर गिर जाती है।
"तो किसका फोटू लगायें फिर .. श्राद्ध वाले हार्डिंग पर…? वे फिर बोले।
मैने कहा सर.. कौवे का लगा दो , वो ही श्राद्ध का प्रतीक है
"कौवे का ?…. कौवे का सही लगेगा क्या.. मेरे फोटो के साथ… ?
मैने कहा "जी बिल्कुल लगेगा..
"अच्छा ठीक है .. लगा देगें , पर फ्लेक्स में फिर किस साईड लगाये.. लेफ्ट या राईट… ?
"किसी भी साईड लगा दो सर.. "आपकी जगह उसका लगा दो या उसकी जगह आपका.... कोई फर्क नहीं पड़ेगा… "
"अच्छा अच्छा ठीक है… ये अच्छा तो लगेगा ना… ???
"सर .. बेशक अच्छा लगेगा.. और वैसे भी आपको अच्छे बुरे से क्या लेना देना.. आपको तो जनता के बीच नजर आना है.. आते रहोगे…।।
"अच्छा अच्छा.. ओके ओके और धन्यवाद देने के साथ नेताजी ने खुश होकर फोन काट दिया।
सामने पेड़ पर एक कौवा मेरी तरफ देखकर चीखे जा रहा था..
(kgkadam)