अब किसी भी व्यक्ति को मिलेगी शिकायत करने की छूट: सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई आसान होगी : सुप्रीम कोर्ट
आए दिन सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएँ सामने आती रहती हैं। अब तक कई बार यह देखा गया कि शिकायत दर्ज कराने वाले व्यक्ति की "अधिकृत न होने" की दलील देकर आरोपित कानूनी कार्रवाई से बच निकलते थे।
लेकिन अब ऐसा संभव नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए साफ कर दिया है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में कोई भी व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सकता है।
सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम में कोई प्रतिबंध नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पब्लिक प्रॉपर्टी डैमेज प्रिवेंशन एक्ट, 1984 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो शिकायतकर्ता की पात्रता को सीमित करता हो।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कानून में कहीं नहीं लिखा कि शिकायत कौन करेगा या किसे अधिकार है।
इस आदेश के साथ उन सभी मामलों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा, जिनमें शिकायतकर्ता की क्षमता पर सवाल उठाकर कार्रवाई रोक दी जाती थी।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश रद्द
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने यूपी के आजमगढ़ से जुड़े केस में यह फैसला सुनाया।
अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का 24 सितंबर 2024 का आदेश रद्द करते हुए कहा कि हाई कोर्ट का यह मानना गलत था कि ग्राम प्रधान एफआईआर दर्ज कराने के लिए अधिकृत नहीं थे।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि कानून में कहीं भी यह नहीं लिखा कि कोई सामान्य नागरिक एफआईआर नहीं करा सकता।
विशेष रूप से डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी बनाम डॉ. मनमोहन सिंह (2012) के फैसले का जिक्र किया गया, जिसमें कहा गया था कि सीआरपीसी किसी भी नागरिक को अपराध की शिकायत करने से नहीं रोकता।
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क्या था मामला?
आजमगढ़ के एक गांव में ग्राम प्रधान की शिकायत पर नौशाद और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी।
आरोप थे:
IPC की धारा 147, 323, 504, 506
SC/ST एक्ट की धाराएँ 3(1)(R), 3(1)(S), 3(2)(VA)
सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धाराएँ 3/4
पुलिस ने जांच के बाद आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किया।
विशेष जज ने आरोपों पर संज्ञान लेकर अभियुक्तों को समन जारी किया।
हाई कोर्ट ने ग्राम प्रधान को फ़र्ज़ी ठहराते हुए समन रद्द कर दिया था।
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सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
यूपी रेवेन्यू कोड की धारा 67 और 136 दीवानी प्रकृति की हैं, जिनका उद्देश्य संपत्ति के विवाद या कब्जे से संबंधित है।
ये धाराएँ एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया पर लागू नहीं होतीं।
इसलिए ग्राम प्रधान द्वारा शिकायत दर्ज कराना बिल्कुल वैध है
फैसले का महत्व
✓ अब कोई भी नागरिक सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की शिकायत कर सकेगा।
✓ आरोपी "शिकायतकर्ता अधिकृत नहीं था" जैसी तकनीकी बातों का सहारा लेकर नहीं बच पाएंगे।
✓ न्यायिक प्रक्रिया और भी मजबूत होगी।
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