अवैध खनन पर लगाम और राजस्व बढ़ाने की कवायद, तीन अंतरराज्यीय अध्ययन समितियां गठित
राज्य में अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण नहीं हो पाने और खनिज विभाग के राजस्व में अपेक्षित वृद्धि न होने से भाजपा सरकार की चिंता बढ़ गई है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने अवैध खनन पर अंकुश लगाने, खनन क्षेत्र से राजस्व बढ़ाने और नियमों को अधिक सरल व व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से अंतरराज्यीय अध्ययन समितियों का गठन किया है।
खान एवं पेट्रोलियम विभाग के आदेश के अनुसार गठित ये समितियां अन्य राज्यों की सर्वोत्तम योजनाओं, आधुनिक तकनीकों और प्रभावी नियमों का अध्ययन करेंगी। इसके बाद राजस्थान में लागू किए जा सकने वाले ठोस सुझाव सरकार को सौंपे जाएंगे।
खान विभाग के संयुक्त शासन सचिव अरविंद सारस्वत द्वारा जारी आदेश में अध्ययन के प्रमुख बिंदु भी तय किए गए हैं। इनमें खनन से राजस्व प्राप्ति की व्यवस्था, खनन रियायत नियम और परिपत्र, चारागाह एवं प्रतिबंधित क्षेत्रों में खनन की अनुमति की प्रक्रिया, पर्यावरणीय पूर्वानुमति की समय सीमा और अवैध खनन की रोकथाम में तकनीक के उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
अलग अलग उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए तीन समितियों का गठन किया गया है। ये समितियां खनिज विकास, राजस्व वृद्धि और अवैध खनन की रोकथाम से जुड़े मुद्दों पर अध्ययन कर अपनी अनुशंसाओं सहित रिपोर्ट तैयार करेंगी। यह रिपोर्ट निदेशालय के माध्यम से शासन सचिव को प्रस्तुत की जाएगी। अध्ययन के लिए समितियां मध्यप्रदेश, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ का दौरा करेंगी।
उड़ीसा की सर्वोत्तम व्यवस्थाओं का अध्ययन करने के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई गई है। इस समिति में अधीक्षण खनि अभियंता उदयपुर शिवप्रसाद शर्मा, खनि अभियंता नागौर जेपी गोदरा, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक जयपुर सुशील कुमार और निदेशालय के लेखा अधिकारी राजेश गर्ग शामिल हैं। यह समिति 22 से 27 दिसंबर तक उड़ीसा में अध्ययन करेगी।
