स्वदेशी महोत्सव में धड़की लोक-भारत की धड़कन: लावणी से कालबेलिया तक, संस्कृति की हर थाप पर झूमे चित्तौड़वासी

Update: 2025-12-28 07:30 GMT



चित्तौड़गढ़। राष्ट्रीय स्वदेशी महोत्सव के अंतर्गत शनिवार रात्रि आयोजित सांस्कृतिक संध्या लोक-परंपराओं की सुगंध से सराबोर रही। दीप-प्रकाश, पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज और रंग-बिरंगे परिधानों के बीच मंच पर उतरी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भारत की समृद्ध और जीवंत लोक-संस्कृति की अनुभूति कराई। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम ने “विविधता में एकता” के भाव को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया। लावणी, सिद्दी धमाल, चरी घूमर और कालबेलिया की प्रस्तुतियों से सजी यह सांस्कृतिक संध्या दर्शकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनी और स्वदेशी महोत्सव को लोक-रंगों से और अधिक भव्यता प्रदान की।

कार्यक्रम की शुरुआत महाराष्ट्र की सुप्रसिद्ध लावणी नृत्य प्रस्तुति से हुई। टीम लीडर सुरभि मसनले के नेतृत्व में 12 कलाकारों ने तेज लय, भावपूर्ण मुद्राओं और सधे हुए ताल के साथ मंच को ऊर्जावान बना दिया। इसके पश्चात सिद्दी धमाल ने अपनी विशिष्ट ताल, सामूहिक समन्वय और जोशीले अंदाज से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। टीम लीडर इमरान सिद्धि के साथ 15 कलाकारों की इस प्रस्तुति में ढोल की गूंज और उत्साह देखते ही बन रहा था।

राजस्थान की माटी से जुड़ा चरी घूमर नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। टीम लीडर अंजना कुमावत के नेतृत्व में 15 कलाकारों ने सिर पर प्रज्ज्वलित चरी धारण कर संतुलन, अनुशासन और सौम्यता का अद्भुत प्रदर्शन किया। यह नृत्य मरुस्थलीय जीवन में प्रकाश, उत्सव और नारी शक्ति का प्रतीक है, जिसे कलाकारों ने अत्यंत गरिमा के साथ मंच पर साकार किया। हर चक्कर के साथ दर्शकों की तालियां और उत्साह बढ़ता गया।

वहीं, कालबेलिया नृत्य ने राजस्थान की घुमंतू संस्कृति और मरुस्थलीय जीवन की चपलता को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। टीम लीडर हीरानपाथ कालबेलिया के साथ 6 कलाकारों की प्रस्तुति में सर्प-सी लचक, तीव्र गति और लोक-वाद्यों की संगत ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। फुर्तीली गतियों और भाव-भंगिमाओं पर सभागार बार-बार करतल ध्वनि से गूंज उठा।

प्रस्तुतियों के उपरांत सभी कलाकारों को मंच पर उपस्थित अतिथियों द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। रहे। अतिथियों ने कलाकारों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजन लोक-परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।इस अवसर पर सांसद चंद्रप्रकाश जोशी, जिला कलक्टर आलोक रंजन, एसडीएम बीनू देवल, रघु शर्मा, श्रवण सिंह राव, सुधीर जैन, मनोज पारीक, सागर सोनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रभारी रेखा शर्मा, अनुराधा आर्य, संजय कोदली सहित जिले के प्रशासनिक अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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