सहस्त्र चंडी पाठ एवं अथर्वेद के मंत्रों से गूंजता रहा कल्याण लोक

By :  vijay
Update: 2024-10-11 11:33 GMT

निंबाहेड़ा शारदीय नवरात्रि में देवी उपासना का विशेष महत्व होता हैं। इसलिए मेवाड़ के प्रसिद्ध श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान द्वारा नवरात्रि के दौरान शक्ति उपासना के नानाविध प्रयास कर सर्वत्र खुशहाली की कामना की गई। इस दौरान संस्थान द्वारा कल्याण लोक में संचालित वेद विद्यालय के आचार्य एवं छोटे-छोटे बटुकों द्वारा आश्विन शुक्ला प्रतिप्रदा से सहस्त्र चंडी पाठ अथर्वेद के मंत्रों एवं मां दुर्गा के बीज मंत्र से कल्याण लोक गुंजयमान होता रहा। वेदपीठ के पदाधिकारियों ने बताया कि कल्याण लोक स्थित भव्य योगशाला में बटुकों द्वारा 1008 सहस्त्र चंडी पाठ के साथ ही मां दुर्गा के 11 लाख बीज मंत्रों का जाप किया गया। वहीं महा नवमीं के अवसर पर पंचकुंडीय दुर्गा महायज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें आचार्य और बटुकों के साथ ही यजमानों द्वारा शाकल्य एवं गौघृत की आहुतियां दी गई। उन्होंने बताया कि दशहरा के अवसर पर कल्याण लोक के साथ ही वेदपीठ परिसर में महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। वेद विद्यालय के आचार्य पांडे ने सहस्त्र चंडी का महात्म्य बताते हुए कहा कि सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सहस्र चंडी पाठ एवं यज्ञ का महत्व हमारे धर्म-ग्रंथों में बताया गया हैं। समाज में शांति, खुशी और सामान्य कल्याण को बढ़ावा देने और सभी प्रकार की आपदाओं को दूर करने के साथ ही शक्ति का आह्वान करने के लिए सहस्रचंडी का पाठ एवं महायज्ञ किया जाता हैं। वास्तव में माता हमें पाठ में ही अपनी शक्ति का आश्वासन देती हैं।

अयकैवाहं जगत्यत्र द्वितीया कामपारा

मैं ही इस ब्रह्माण्ड में हूँ, मेरे अलावा दूसरा कौन हैं?

स्वाभाविक रूप से किसी भी चीज और हर चीज के लिए ब्रह्माण्ड उन पर निर्भर हैं और उनकी कृपा चाहता हैं। तब भी जब वे इच्छाओं से रहित होते हैं। दुर्गा सप्तशती के अध्याय 13 में सहस्र चंडी यज्ञ और होम के महत्व का वर्णन किया गया हैं। जब उनकी पूजा की जाती हैं और उन्हें प्रसन्न किया जाता हैं, तो वे अपने भक्तों के घर में समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी के रूप में निवास करती हैं।

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