चित्तौड़गढ़ अंबेश्वर मंदिर अंबे नगर में चल रहे संगीत मय श्री शिव महापुराण की कथा के छठबे दिन श्री धाम वृंदावन से पधारे कथा वाचक परम् श्रद्धेय आचार्य श्री राम मूर्ति तिवारी महाराज ने कथा में बताया कि त्रिपुरासुर ने दैत्य होते हुए भी भगवान् शिव की आराधना की उसकी भक्ति और पुण्यों के कारण देवता भी उस का जब तक कुछ नहीं बिगाड़ पाए तब तक की भगवान् विष्णु ने मुंडी के द्वारा त्रिपुरासुर के नगरों में वेद विरुद्ध पाखंड धर्म फैलाया, आज के समय में भी सनातन को तोड़ने के लिए विदेशी चाटुकार मुंडी की भांति जगह-जगह अपने-अपने पथ अलग-अलग बताते हुए सनातन धर्मियों को भ्रमित करते हैं ।इनसे बचकर रहना चाहिए, क्योंकि उनका लक्ष्य केवल एक ही है फूट डालो राज करो ।इसलिए हम धर्मवान तो बने पर धर्मांध ना बने,।पूज्य महाराज श्री ने बताया कि आज के समय में जो विज्ञान बहुत आगे बढ़ रहा है। यह सब हमारे ऋषि मुनि तपस्या करके बहुत पहले ही खोज कर चुके हैं।, अंत में महाराज श्री ने भगवान विष्णु के द्वारा तुलसी के शील हरण की कथा श्रवण कराते हुए कथा को विश्राम दिया । आज की कथा के श्री सुरेश चंद्र जी कल, प्रहलाद हेडा, मुकेश शर्मा, अरविंद व्यास बनवारी जी जगदीश जी सुखवाल, कृष्ण गोपाल पौरवाल , कृष्ण चंद्र शर्मा, सभी भक्तों की उपस्थिति रही श्री विष्णु भगवान एवं तुलसी माता का स्वरूप धारण किया अंत में आरती कर प्रसाद वितरण किया।