निम्बाहेड़ा नगर परिषद के परिसीमन में व्याप्त खामियों से जयपुर सहित स्थानीय प्रशासन में हड़कंप स्थानीय निकाय विभाग ने लौटाया परिसीमन
निम्बाहेड़ा राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के सभी नगरी निकायों में वार्डों के पुनर्गठन को लेकर आदेश जारी किए थे जिसके तहत बजट 2025 में नगर पालिका से नगर परिषद में क्रमन्नत हुई निम्बाहेड़ा नगर परिषद में भी वार्डो का पुनर्सीमांकन किया गया था परंतु इसमें राज्य सरकार के निर्देशों के विपरीत जाकर वार्ड गठित किए गए। जिसका परिणाम यह रहा की स्थानीय निकाय विभाग ने नगर परिषद निम्बाहेड़ा के परिसीमन को अस्वीकार करते हुए पुनः लौटा दिया और सरकारी निर्देशों के अनुसार कल 15 मई तक पुनः परिसीमन प्रस्तुत करने के आदेश दिए।
नगर कांग्रेस अध्यक्ष बंशीलाल राईवाल बताया कि प्रशासनिक सूत्रों से जानकारी में आया है कि नगर परिषद निम्बाहेड़ा द्वारा ग्रामीण क्षेत्र से कुछ राजस्व गांव को नगर निकाय में मिलाकर 60 वार्ड गठित करने का प्रस्ताव स्थानीय निकाय विभाग जयपुर को भेजा गया था जिसे स्थानीय निकाय विभाग ने अस्वीकार करते हुए प्रस्ताव पुनः लौटा दिए, जिससे निम्बाहेड़ा उपखंड के सक्षम अधिकारियों सहित चित्तौड़गढ़ जिले के बड़े अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। यह संभवतया प्रदेश का इकलौता मामला है जिसमें किसी नगरी निकाय द्वारा प्रस्तुत किए गए पूरे के पूरे परिसीमन को स्थानीय निकाय विभाग जयपुर द्वारा अस्वीकार करते हुए लौटा दिया गया है।
पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष सुभाषचंद्र शारदा ने बताया कि राजस्थान सरकार ने नवंबर 2024 में जारी अपने आदेशों में नगरी निकायों के पुनर्गठन को लेकर विस्तृत मापदंड जारी किए थे जिसके तहत वर्ष 2011 की जनगणना को आधार मानते हुए भिन्न-भिन्न जनसंख्या वाले नगरी निकायों में वार्डों की संख्या तय की गई थी जिसके तहत निम्बाहेड़ा नगर पालिका जो कि अब नगर परिषद में क्रमोन्नत हो गई है की आबादी 64000 के लगभग थी, साथ ही नगर परिषद क्षेत्र में जोड़े गए अन्य राजस्व गांव की संयुक्त रूप से कुल आबादी 8000 के आसपास थी जिसे निम्बाहेड़ा नगर परिषद क्षेत्र की कुल आबादी 72000 ही हो रही थी। राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों में 60000 से 80000 की आबादी वाले नगरी निकायों में 45 वार्ड ही गठित करने के आदेश दिए गए थे परंतु स्थानीय अधिकारियों ने सरकारी आदेशों के अवहेलना करते हुए 60 वार्ड गठित करने का प्रस्ताव जिला कलेक्टर को भेज दिया एवं जिला प्रशासन ने भी आंख मूंद कर नगर परिषद निम्बाहेड़ा के पुनर्गठन हेतु प्रस्तुत प्रस्ताव को राज्य सरकार को भेज दिया परंतु स्थानीय निकाय विभाग जयपुर ने उक्त परिसीमन को सिरे से अस्वीकार कर दिया। जिससे निम्बाहेड़ा उपखंड सहित चित्तौड़गढ़ जिले के सक्षम अधिकारियों की फ़जीती तो हुई है, क्योंकि सक्षम अधिकारियों द्वारा वार्डो के परिसीमन में ना तो जनसंख्या अनुपात का ध्यान रखा गया और ना ही वर्ष 2011 की जनगणना के उपरांत बने सांख्यिकी ब्लॉक को न तोड़ने के सरकारी निर्देशों की पालना की गई जिसका परिणाम यह रहा की नगर परिषद द्वारा प्रस्तुत कुछ वार्डो की आबादी 300 से भी कम रहती और कुछ वार्डो की आबादी 2000 के आसपास हो जाती जो साफ साफ दर्शाता है कि अधिकारियों द्वारा उक्त परिसीमन अपने दफ्तर में बैठकर ही तैयार किया गया है ना की भौतिक रूप से निरीक्षण करके।
पूर्व नगरपालिका उपाध्यक्ष परवेज अहमद शिब्बी ने कहा कि अब देखना यह है कि कल तक स्थानीय अधिकारी किस तरीके का परिसीमन करके राज्य सरकार को भेजते हैं। परंतु इससे यह तो साफ हो ही जाता है कि स्थानीय अधिकारी या तो सरकारी निर्देशों के प्रति सजग नहीं थे या वे राजनीतिक दबाव ने कार्य कर रहे थे, क्योंकि यह भी जानकारी में आया है कि उक्त परिसीमन में विभिन्न खामियों को उजागर करते हुए कई नागरिकों ने समयावधि में आपत्तियां प्रस्तुत कर दी थी परंतु स्थानीय प्रशासन द्वारा उन नागरिकों को भौतिक रूप से सुने बिना उनकी आपत्तियों का निस्तारण कर दिया गया जिसकी सूचना आज तक आपत्तिकर्ताओं को नहीं दी गई।
पूर्व विधानसभा युवा कांग्रेस अध्यक्ष एवं निवर्तमान पार्षद रविप्रकाश सोनी ने कहा कि यह परिसीमन अब आम लोगों में भी चर्चा का विषय बन गया है साथ ही आमजन में भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न हो रही है। क्योंकि नगर परिषद क्षेत्र में 07 नए गांव को शामिल करते हुए अब 60 की बजाए 45 वार्डो का गठन किया जा रहा है जिससे पुराने नगर पालिका क्षेत्र जो की शामिल किए गए सभी गांव से बहुत बड़ा है का प्रतिनिधित्व नगर परिषद में काम हो जाएगा, क्योंकि पूर्व नगर पालिका में सभी 45 वार्ड पुराने नगर पालिका क्षेत्र में ही थे परंतु नए ग्रामीण क्षेत्र के नगर परिषद में जुड़ने से उन गांव में भी वार्डो का गठन होगा जिससे पुराने शहरी क्षेत्र में वार्डो की संख्या 36 से 38 ही रह जाएंगे जिसके फलस्वरूप पुराने शहर में वार्डो का क्षेत्रफल एवं जनसंख्या अनुपात काफी अधिक हो जाएगा। आमजन में यह भी चर्चा है कि 10 दिन में पूरे नगर परिषद क्षेत्र का भौतिक परीक्षण कर 45 वार्डो का सही-सही गठन करना मुश्किल असंभव है नवीन परिसीमन में भी कई खामियां होने की संभावना रहेगी।