चित्तौड़गढ़। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष में जनजाति गौरव पोषण पखवाड़ा का आयोजन आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 27 पर किया गया। आयोजन में महिला एवं बाल विकास विभाग से महिला पर्यवेक्षक संपत शर्मा ने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके संघर्षों और योगदान की जानकारी दी।
इस अवसर पर ब्लॉक कोऑर्डिनेटर नारायण सालवी ने कहा कि बिरसा मुंडा एक महान जननायक थे जिन्होंने आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलीहातू गाँव में हुआ था। वे एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और लोकनायक थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के शोषण के खिलाफ ‘उलगुलान’ आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने आदिवासियों की भूमि, संस्कृति और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उनके अनुयायियों ने उन्हें ‘धरती आबा’ यानी धरती के पिता के रूप में सम्मान दिया।
बिरसा मुंडा का जीवन भले ही छोटा रहा, किंतु उनका आदर्श आज भी समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। 9 जून 1900 को मात्र 25 वर्ष की आयु में जेल में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी विचारधारा आज भी जनजातीय समाज के लिए मार्गदर्शन का कार्य कर रही है।
आयोजन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हेमलता जैन, संता योगी, हेमलता मीणा, आशा सहयोगी मंजू पटवा, मंजू गौड़, आंगनबाड़ी सहायिका कंचन, अनीता गोमती सहित क्षेत्र की सभी लाभार्थी महिलाएं एवं जनजातीय समुदाय की महिलाएं उपस्थित रहीं।