खनन माफिया के आगे जिम्मेदार नतमस्तक क्यों!: मिलीभगत से आमेट उपखंड़ क्षैत्र में चल रहा अवैध खनन ?
राजसमंद (राव दिलीप सिंह) जिले में जिनके पास अवैध खनन रोकने का जिम्मा है, यदि वे ही सरकार को चूना लगाए तो इसे क्या कहेंगे? हाल ही में। ऐसा मामला आमेट उपखंड़ में सामने आया है। वहां खनन माफिया ने अवैध खनन कर करीब करोड़ों रुपए से ज्यादा के राजस्व का चूना लगा दिया। हैरानी की बात यह है कि विभाग पेनल्टी लगा राहत प्रदान करता रहा है । विभाग ड्रोन सर्वे कर अवैध खनन का आकलन कर सकता है परन्तु जिम्मेदार अधिकारी ऐसा कभी नहीं करेंगे। ऐसे में खनन माफिया के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकती। यहां जिन अवैध खखन पर पेनल्टी लगाई गई थी, वहां अधिक अवैध खनन हो चुका है। पेनल्टी वाले अवैध खनन पर आज भी अवैध खनन जारी है।
दरअसल, जिले के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। पेनल्टी हो या कार्रवाई का दूसरा कोई जरिया, सभी मामलों में बचाव का रास्ता खुद विभाग ही माफिया को दिखाता है शायद। खनन इलाकों में माफिया बहाने बाजी का हवाला देकर संबंधित अधिकारियों को भ्रमित भी करते रहे हैं। कई जगह इनके आगे जिम्मेदार नतमस्तक भी नजर आते हैं। पुलिस थानों, तहसील और उपखण्ड अधिकारी कार्यालय में से कोई भी अधिकारी शिकायत मिलने के बावजूद मौके पर जाने से कतराते हैं। खनन माफिया के हौसले बुलंद हो चुके हैं। हालत यह है कि माफिया चरागाह ,बिरला नाम जैसे इलाकों में भी धरती को छलनी करने से नहीं चूक रहे।
अवैध खनन से राजस्व का नुकसान तो हो ही रहा है, बड़ी चुनौती कानून व्यवस्था को लेकर भी है। जिले में बढ़ते अपराधों का एक बड़ा कारण अवैध खनन से पनपे संगठित गिरोह भी हो सकता हैं। समय रहते इन पर अंकुश नहीं लगा तो हमारी खनिज सम्पदा की तिजोरी खाली हो जाएगी और राजस्थान अपराधियों का गढ़ बन जाएगा। माफिया के खिलाफ ऐसा सख्त रुख अपनाना चाहिए कि फिर कोई अवैध खनन का दुस्साहस नहीं कर सके। बेहतर तो यह है कि पेनल्टी के स्थान पर सीधे कानुनी कार्रवाई की जाए। जानकारों के अनुसार जिम्मेदारों की मिलीभगत सामने आने पर कार्रवाई की नजीर पेश करने की भी दरकार है।