किसान सम्मेलन में सरकार की नीतियों पर सवाल, 4 जनवरी को महापंचायत का ऐलान
श्रीगंगानगर। राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के पदमपुर तहसील क्षेत्र में स्थित बींझबायला कस्बे में आज अखिल भारतीय किसान सभा की ओर से एक महत्वपूर्ण किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य किसानों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा करना और उनके हितों के लिए संगठित संघर्ष को मजबूत बनाना था। सम्मेलन में बड़ी संख्या में किसान और स्थानीय नेता शामिल हुए, जहां सरकार की किसान विरोधी नीतियों पर कड़ी आलोचना की गई।
सम्मेलन की अध्यक्षता रामस्वरूप धारणिया, लाभसिंह स्वाग और काशीराम मोर ने संयुक्त रूप से की। मंच पर केंद्रीय किसान कौंसिल के सदस्य गुरचरणसिंह मोड़, किसान सभा के जिलाध्यक्ष अमतेंद्रसिंह क्रांति, किसान नेता रविंद्र तरखान, सुखवीरसिंह फौजी, नक्षत्रसिंह बुट्टर, भूमि विकास बैंक के डायरेक्टर सोहन महिया सहित कई प्रमुख किसान नेता उपस्थित रहे।
केंद्रीय किसान कौंसिल के सदस्य गुरचरणसिंह मोड़ ने अपने संबोधन में किसानों से अपील की कि वे संगठित होकर गांव, गरीबों और किसानों से जुड़ी समस्याओं के खिलाफ संघर्ष करें। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकारों की किसान विरोधी नीतियां खेती को घाटे का सौदा बना रही हैं। कर्ज के बोझ तले दबे किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। इस स्थिति के खिलाफ देशभर में किसानों की व्यापक एकता स्थापित करने और संघर्ष को तेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बिना संगठित प्रयासों के इन समस्याओं का समाधान संभव नहीं है।
किसान सभा के जिलाध्यक्ष अमतेंद्रसिंह क्रांति ने जिले में व्याप्त सिंचाई पानी के संकट पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि पानी की कमी के कारण किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा मूंग और कॉटन की खरीद में भारी अनियमितताएं व्याप्त हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने यूरिया और डीएपी जैसी उर्वरकों की उपलब्धता पर भी सवाल उठाया और कहा कि किसानों को रोजाना लंबी लाइनों में खड़े होकर इनकी प्राप्ति करनी पड़ती है। स्पष्ट है कि किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है और सरकारें इन मुद्दों पर उदासीन बनी हुई हैं।
सम्मेलन में उपस्थित सभी ने फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद सुनिश्चित करने, सिंचाई पानी की उपलब्धता, मनरेगा योजना के तहत रोजगार, यूरिया और डीएपी की किल्लत जैसी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया। इन मुद्दों पर किसान आंदोलन को तेज करने का आह्वान किया गया। सम्मेलन ने स्पष्ट किया कि यदि सरकारें इन समस्याओं का समाधान नहीं करतीं, तो किसान संगठन बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे। इस आयोजन से किसानों में नई ऊर्जा का संचार हुआ और वे अपनी मांगों को लेकर अधिक मुखर होने के लिए प्रेरित हुए।
किसान नेता कॉमरेड रविंद्र तरखान ने सम्मेलन में बताया कि जमीन नीलामी और किसानों की स्थानीय समस्याओं को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा 4 जनवरी को साजनवाला में एक बड़ी किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। महापंचायत से पहले किसानों से संपर्क कर जनजागृति अभियान चलाया जाएगा।उन्होंने किसानों से अपील की कि वे इन मुद्दों पर एकजुट होकर आगे आएं।
लखबीरसिंह बराड नए अध्यक्ष चुने गए
सम्मेलन के दौरान सर्वसम्मति से एक 15 सदस्यीय किसान कमेटी का गठन किया गया, जो आगे के आंदोलनों का नेतृत्व करेगी। कमेटी में लखवीरसिंह बराड़ को अध्यक्ष, शमशेरसिंह संधु को सचिव, रामस्वरूप धारणिया और सोहन महिया को उपाध्यक्ष, अमरचंद घोड़ेला और राजेंद्र लूणा को संयुक्त सचिव चुना गया। इसके अलावा लालचंद बेरवाल, पृथ्वीराज सिहाग, रामनरेश तरड़, शेषकरण बिश्नोई, नक्षत्रसिंह बुट्टर, रविंद्र तरखान, श्रवणसिंह समरा, विष्णु धारणिया, काशीराम मोर, राजेंद्र गोदारा और महेंद्र जाखटिया को सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
