SMS ट्रॉमा सेंटर हादसा: आग से 8 मरीजों की मौत, 4 महीने से दीवार में करंट आने की शिकायतें नजरअंदाज
जांच में अस्पताल प्रशासन और PWD की लापरवाही उजागर
चेतावनी के बावजूद नहीं हुई मरम्मत
**जयपुर।** राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल **सवाई मानसिंह (SMS)** के ट्रॉमा सेंटर में लगी आग से मरने वालों की संख्या **आठ** हो गई है।
मंगलवार को अस्पताल प्रशासन ने आधिकारिक रूप से आठ मरीजों की मौत की पुष्टि की।
सरकार द्वारा गठित जांच समिति ने हादसे के लिए **अस्पताल प्रशासन और सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD)** की गंभीर लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है।
चार महीने से दीवार में करंट, फिर भी नहीं उठाए कदम**
* जिस **आईसीयू में आग लगी**, वहां पिछले चार महीनों से दीवार में **करंट दौड़ रहा था**।
* **ट्रॉमा सेंटर प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़** ने अस्पताल अधीक्षक और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को 4–5 बार शिकायत दी थी।
* **लिखित में पत्र** देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
* **PWD अधिकारियों** को भी जानकारी दी गई थी, पर शिकायतें दबा दी गईं।
*छत से पानी टपकता रहा, वायरिंग निकली घटिया**
* भारी बारिश से पिछले तीन महीनों से **छत से पानी टपक** रहा था।
* इससे दीवारों में **करंट फैलने** की स्थिति बनी।
* बिजली की **वायरिंग और स्विच बोर्ड खराब हालत में** थे।
* हादसे से दो दिन पहले ही **ट्रॉमा प्रभारी ने चेताया था** कि पैनल क्षतिग्रस्त हैं, बड़ा हादसा हो सकता है।
स्टोर रूम बना आग का कारण**
* जांच में सामने आया कि **आईसीयू के बगल के स्टोर रूम में शॉर्ट सर्किट** से चिंगारी निकली।
* अंदर **स्प्रिट, रुई और दवाओं जैसे ज्वलनशील पदार्थ** रखे थे।
* पहले ही इन्हें हटाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया।
* आग से पूरे आईसीयू में **धुआं फैल गया**, जिससे मरीजों का **दम घुट गया**।
मरीजों को नई वार्ड में शिफ्ट किया गया**
हादसे के बाद सर्जरी वार्ड के मरीजों को **पुरानी आपातकालीन इकाई** में शिफ्ट कर दिया गया है।
वहां अस्थायी रूप से उपचार और सर्जरी की व्यवस्था की जा रही है।
