परजीवी मुक्त होगा पशुपालन तभी बढ़ेगा पशु उत्पादन
उदयपुर, / पशुओं में पाये जाने वाले अंतः एवं बाह्य परजीवियो से पशु उत्पादन में भारी गिरावट आती हैं जिससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता हैं। जनस्वास्थ्य एवं पशु स्वास्थ्य की दृष्टि से भी परजीवी मुक्त पशुपालन का होना नितान्त आवश्यक है। यह बाज पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने संस्थान में आयोजित संगोष्ठी में कही। डॉ. पद्मा मील ने कहा कि पशुओं में रक्त परजीवी रोगों के कीटाणुओं के वाहक के रूप में यह चिचडें, टिक्स, मक्खियां, जूँ कार्य करती हैं। जिससे रक्त परजीवी रोग तीव्रता से दूसरे पशुओं में फैलता हैं। पशुगृह को स्वच्छ, बाह्य परजीवियों से मुक्त रखे एवं तीन माह में एक बार कृमिनाशक दवा पशुओं को अवश्य देनी चाहिये। इस अवसर पर पशुपालन डिप्लोमा कार्यक्रम के विद्यार्थियों ने भी अपने विचार रखें।