स्वर संस्कृति संगीत की आत्मा है- सुरमणि महालक्ष्मी शिनाॅय

By :  vijay
Update: 2024-10-17 12:38 GMT

 उदयपुर । भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय की बी एन कन्या इकाई के संगीत विभाग द्वारा ‘वाॅइस कल्चर’ (स्वर संस्कृति) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन गुरुवार को किया गया। कार्यशाला का प्रारंभ मां सरस्वती के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मुख्य वक्ता ख्यातनाम संगीतज्ञ सुरमणि महालक्ष्मी शिनाॅय थी। उन्होंने सभी का अभिवादन करते हुए स्वर संस्कृति का व्यावहारिक प्रस्तुतीकरण दिया। कार्यशाला में उपस्थित संगीत विद्यार्थियों को उन्होंने बताया कंठ संगीत में स्वर संस्कृति की अपनी विशिष्ट भूमिका है। स्वर संस्कृति के ज्ञान के बिना कंठ संगीत अधूरा है। स्वर संस्कृति संगीत की आत्मा है।

प्रारंभ माँ सरस्वती, ब्रह्मा स्तुति, कबीर भजन, निर्गुणी भजन, रामभजन, रामनाम स्मरण से किया। उन्होंने स्वर संस्कृति के विविध पक्षों पर सूक्ष्मता के साथ प्रकाश डाला। उन्होंने स्वर और भाव के अन्तर्संबंध को गाकर बताया। कंठ संगीत की साधना के प्रमुख तत्वों, षड़ज स्वर की साधना और उसके गायन समय पर विस्तार से चर्चा की। इसके साथ ही विभिन्न स्वरों के मध्य अन्तर्संबंध, उनकी विशेषताओं और आकार, इकाइ, उकार आदि स्वरों के उच्चारण के आरोह -अवरोह को बारीकी के साथ प्रशिक्षणार्थियों को प्रायोगिक रूप में बताया। कार्यशाला में सुरमणि महालक्ष्मी शिनॉय ने सा स्वर की महिमा का बखान किया एवं उसके महत्व को समझाया। उन्होंने ब्रह्म मुहूर्त में स्वर साधना और रियाज की बारिकियों को बताया। एक ही पिच पर आवाज को कम ज्यादा कैसे रखकर गा सकते हैं यह भी समझाया।

इस अवसर पर महाविद्यालय अधिष्ठाता डाॅ. प्रेमसिंह रावलोत ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाओं से निश्चित रूप से विद्यार्थियों को लाभ होता है। विश्वविद्यालय के चैयरपर्सन कर्नल प्रो शिवसिंह सारंगदेवोत, विप्रस के मंत्री डाॅ.महेन्द्र सिंह राठौड़, प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़, कुलसचिव डाॅ. निरंजन नारायण सिंह ने विचार रखें। कार्यशाला संयोजक और संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. रेखा मेनारिया ने बताया कि इस कार्यशाला में उदयपुर शहर के विभिन्न महाविद्यालयों बीएन विश्वविद्यालय, एमएलएसयू विश्वविद्यालय, मीरा कन्या महाविद्यालय, अर्बुदा कला मंदिर संगीत प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक विवेक अग्रवाल और संगीत विद्यार्थियों ने भी इस कार्यशाला में भाग लिया। विद्यार्थियों ने स्वर संस्कृति के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। कार्यशाला में डाॅ माधवी राठौड़, डाॅ.अपर्णा शर्मा, डाॅ डीएस सिसोदिया, डाॅ. जेएस भाटी, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ.पामिल मोदी, महाविद्यालय के संकाय सदस्य आदि उपस्थित थे। हारमोनियम पर हरिओम तिवारी व तबले पर श्याम नागर ने संगत की। कार्यक्रम का संचालन अपेक्षा भट्ट ने किया।

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