राष्ट्रसंत पुलक सागर के सानिध्य में मनाया उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म दिवस

Update: 2025-09-06 11:43 GMT

 उदयपुर । राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर ससंघ का चातुर्मास सर्वऋतु विलास मंदिर में बड़ी धूमधाम से आयोजित हो रहा है । इसी श्रृंखला में शनिवार को दशलक्षण महापर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म दिवस मनाया गया । राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर के सानिध्य में टाउन हॉल में पाप नाशनम शिविर के अंतर्गत 700 शिविरार्थियों ने एक जैसे वस्त्र पहन कर शिविर में भाग लिया, और संगीतमय पूजा एवं धर्म आराधना की । चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फांदोत ने बताया कि 60 से भी अधिक तपस्वी पांच एवं दस उपवास की साधना आचार्यश्री के सानिध्य में कर रहे है । प्रात:कालीन कार्यक्रम की श्रृंखला में प्रात: 5.30 बजे प्राणायाम, प्रात: 7.30 बजे अभिषेक हुआ, उसके बाद शांतिधारा एवं पूजन सम्पन्न हुई । प्रात: 9.30 बजे आचार्यश्री का विशेष प्रवचन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म दिवस पर हुआ, जिसमें आचार्यश्री ने कहा कि मोक्ष महल का अन्तिम सोपान उत्तम ब्रह्मचर्य है। ब्रह्म नाम है आत्मा का सो आत्मरमण, आत्मलीनता और आत्मचर्या में जीना ही ब्रह्मचर्य है। काम से पैदा होना मजबूरी है लेकिन काम में जीना और मरना मजबूरी नहीं है। काम में पैदा होकर राम में जीना ही मानव जीव की उत्कृष्ट सफलता है। प्रत्येक मनुष्य को काम में नहीं राम में जीने में अपना जीवन व्यतीत करने का अभ्यास करना चाहिए। मनुष्य को कमल की तरह जीवन यापन करना चाहिए। कमल पैदा तो कीचड़ में होता है लेकिन वह जीता कीचड़ से दूर रहकर मुक्ताकाश में है। योगी समाधि में जीता है और भोगी भोग में। काम की ऊर्जा का दुरुपयोग मनुष्य और प्रकृति दोनों के लिए घातक है। वासना कई बार ममता का गला घोंट देती है। इसलिए कामांधता छोडक़र जीवन को ब्रह्मचर्य व्रत पालन में लगाना चाहिए। मन पर नियंत्राण ही सच्ची ब्रह्मचर्य साधना है। आत्मस्वरूप होकर आत्मसंवाद, आत्म साक्षात्कार और आत्म लाभ ही ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मचर्य की साधना ही मुक्ति की युक्ति है ।

महामंत्री प्रकाश सिंघवी एवं प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि प्रवचन के बाद सभी तपस्वियों एवं शिविरार्थियों की शोभायात्रा नगर निगम से शुरू होकर सर्वऋतु विलास पहुंची, उसके बाद दोपहर 12.30 बजे सामायिक मंत्र जाप, दोपहर 2 बजे धार्मिक प्रशिक्षण, शंका समाधान, तत्व चर्चा हुई । सायं 5 बजे महा प्रतिक्रमण राष्ट्रसंत के सानिध्य में टाउन हॉल में संपन्न हुआ, 7.30 बजे गुरु भक्ति एवं श्रीजी की महाआरती हुई । उसके बाद प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए ।

चातुर्मास समिति के मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि रविवार प्रात: सभी तपस्वियों का महापारणा सम्पन्न होगा । कार्यक्रम में विनोद फान्दोत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, सेठ शांतिलाल नागदा सहित सम्पूर्ण उदयपुर संभाग से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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