उदयपुर । राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर ससंघ का चातुर्मास सर्वऋतु विलास मंदिर में बड़ी धूमधाम से आयोजित हो रहा है । चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फांदोत ने बताया कि इसी श्रृंखला में सात दिवसीय ऋषभ कथा में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें ऋषभदेव से आए सूत्रधार कवि बलवंत बल्लू ने अपनी रचना नाभिराय माता मरुदेवी तुझको इस धरती का हे प्रणाम, अगर ऋषभ का जन्म न होता जैन धर्म का होता न नाम, निलांजन के नर्तन की ये धरती है आभारी, काल नर्तकी का न होता वन की होती न तैयारी, ऋषभदेव ने वीतराग बन सर्व धर्म आभार दिया, देकर जन्म ऋषभ बालक को जन जन का उद्धार किया पंक्तियों से सभी को भाव विभोर कर दिया । जबलपुर से आए सूरज राय सूरज ने अपनी पंक्तियां - लार की गर्म सलाखें निकालती है मां, बेबसी शर्म के टांके निकालती है मां, रोज़ जब लौट के आती है घर जवाँ बेटी, जिस्म से सैकड़ों आंखें निकालती है मां पंक्तियों से खूब दाद पाई । कवि मुकेश मासूम ने अपनी पंक्तियां - कठिन रास्ते भी सरल हो गए है, ये जीवन के माने सफल हो गए है, गुरु की कृपा हो गईं जब से हम पर गमों के हिमालय तरल हो गए है पंक्तियों पर खूब तालियां बटोरी । कोटा से आए कवि डॉ. आदित्य जैन परिवार छोडक़र गए सरहद के काम पर, आजादी छीन लाए जो सांसों के दाम पर, अपने घरों में दीप जलाओ तो साथ में, दीपक जलाना एक शहीदों के नाम पर, अकबर भी डर गया तेरी छाती के नाप से, चट्टान भी पिघल गई सांसो के ताप से, मिट्टी में गिरा खून तो हल्दी महक उठी, धरती ये धन्य हो गई राणा प्रताप से पंक्तियां सुनकर माहौल देशभक्तिमय कर दिया । बांसवाड़ा से आई कवयित्री रोहिणी पंड्या ने वीर जियालों ने ठसके से ऑपरेशन सिंदूर किया, आतंकी अड्डों को तोड़ा-फोड़ा चकनाचूर किया, बब्बर शेरों के धावे थे दुबके हुए लंगूरों तक, जिन ने चाहा उनको पहुँचा दिया बहत्तर हूरों तक। बम गोलों का थल से नभ तक जम कर गर्जन नाद सुना, सात सुरों में सजा विश्व ने भारत ज़िन्दाबाद सुनाते ही पूरे पंडाल में भारत माता के जयकारे गूंजने लगे, वही भीलवाड़ा से आए योगेंद्र शर्मा ने भाल भारती माँ का है ये बस केवल कश्मीर नहीं, स्वाभिमान की स्वर्ग धरा है असुरों की जागीर नहीं, जहाँ मुखर्जी का बलिदानी घोष गूँजता नारों में, ब्रिगेडियर उस्मान दफऩ है घाटी के गलियारों में, जिस धरती पर लौह पुरुष की गौरव गाथा अंकित है, खण्ड-खण्ड भूखण्ड जोडक़र भारत माता अंकित है, पाक-चीन के व्यतिक्रम वाला वो कश्मीर हमारा है, भारत माँ का मस्तक हमको प्राणों से भी प्यारा है पंक्तियां सुनाकर श्रोताओं से खूब दाद पाई । हास्य रस के कवि सुनील व्यास ने श्रोताओं को अपनी रचनाओं से खूब गुदगुदाया । वहीं मुंबई से आए गीतकार चंदन राय ने अपने अंदाज में प्रेम और मुहब्बत के गीतों से सभी श्रोताओं के दिलों में अमिट छाप छोड़ी ।