सकल जैन समाज का 25वां सामूहिक क्षमायाचना समारोह सम्पन्न

By :  vijay
Update: 2024-09-22 09:48 GMT



उदयपुर । सामाजिक संस्थान श्री महावीर युवा मंच संस्थान उदयपुर के तत्वावधान में सकल जैन समाज का 25वां सामूहिक क्षमायाचना समारोह रविवार को सुखाडिय़ा रंगमंच पर जैन समाज के उदयपुर में बिराजित विभिन्न चारित्रात्माओं के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि शहर विधायक ताराचंद जैन थे। शहर विधायक ताराचंद जैन ने उदयपुर की समस्त जनता की तरफ से सभी साधु साध्वी समुदाय और श्रावक श्राविका समाज के साथ साथ संपूर्ण उदयपुर की जनता से भी क्षमा याचना की। संस्थान के मुख्य संरक्षक राजकुमार फत्तावत ने संस्थान की गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए आदर्श परिवार की परिकल्पना की आवश्यकता बताई।

फत्तावत ने बताया कि सैकड़ों श्रावकों से खचाखच भरे सुखाडिय़ा रंगमंच सभागार में सकल जैन समाज का 25वें सामूहिक क्षमायाचना समारोह में मुनि प्रशम सागर महाराज ने अपनी अमृतवाणी से कहा कि आज के समय पर दृष्टि दुर्लभ नही है वरन दुर्लभ दृष्टि मुश्किल है। हमे क्या करना है, क्यों करना है,कैसे करना है इसकी जानकारी होना आवश्यक है। क्रोध से शक्ति नहीं आसक्ति बढ़ती है। हम अपने पर संयम नहीं रख सके इसलिए क्रोध बढ़ता है। हमारे संस्कार इतने पुष्ट होने चाहिए जिससे कोई निर्णय लेने में आसानी हो जाए।

दक्षिण चंद्रिका महासाध्वी संयमलता महाराज ने कहा कि समस्त गुरु भगवंतो साधु साध्वी समुदाय से क्षमा याचना करते हुए सुमधुर गीत के माध्यम से सभी से सामूहिक क्षमा याचना करवाई। टूटे हुए दिल को केवल माफी से ही जोड़ा जा सकता है। क्रोध और अहंकार आने पर व्यक्ति सब भूल जाता है। हमेशा हसते, मुस्कुराते रहे, गाते गुनगुनाते रहिए। हम सब फूल भले ही अलग है पर बगीचा एक है। दीपक तो अनेक है पर ज्योति तो एक है। हम सब में छाप जैनत्व की रहनी चाहिए। केवल एकता का संदेश देने के लिए ही आज सब साधु साध्वी यहां एकत्र हुए है।

मुनि समर्पित रत्न विजय महाराज ने कहा कि सही मायने में क्षमापना अपने ह्रदय के द्वार को खोल कर ही की जा सकती है। समता का सार क्षमापना ही है। क्षमा याचना से टूटे हुए संबंधों को बचाया जा सकता है। क्रोध करना सबसे बड़ा गुनाह है। क्रोध से बड़े से बड़ा संयम भी समाप्त हो जाता है। अपनी गलती को साफ, दूसरे की गलती को माफ और परमात्मा को याद करना सही मायने में क्षमापना है।

मुनि संबोध कुमार मेधांश ने अपने प्रवचन में कहा कि आज सभी वो सुनने और चुनने आए है जो अब तक नहीं सुना और चुना गया है। आज के समय में असली माफी तो उनसे मांगनी चाहिए जिनसे वर्ष भर में कभी भी कोई गलत व्यवहार रहा हो, जिनको व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर ब्लॉक कर रखा हो। माफी मांगने से कभी यह साबित नही होता है की गलती किसकी है लेकिन यह जरूर साबित हो जाता है की आप इस दुनिया में श्रेष्ठ हो क्योंकि आपने माफी मांगी है।

साध्वी डॉ संयम ज्योति महाराज ने कहां कि विज्ञान कहता है कि शरीर से भोजन को 24 घंटे बाहर निकलना जरूरी है नही तो जहर बन जाता है उसी तरह से अपने मन के नकारात्मक विचारों को समय समय पर बाहर निकलना आवश्यक है। मेडिटेशन, ध्यान आदि से इन नकारात्मक विचारों को बाहर निकाल सकते है। क्षमा मांगना और क्षमा प्रदान करना वीरों का आभूषण है। क्षमा मुक्ति की पवन निशानी है। जैसे नवकार मंत्र यूनिवर्सल है उसी तरह से पर्युषण और क्षमा याचना भी यूनिवर्सल है।आज क्षमापना केवल दिखावा बन कर रह गया है। हमे केवल अपनी गलती नही दिखाई देती है केवल दूसरे के दोष ही नजर आते है। अपने दोषों को पहचान कर उन्हें मिटाना ही असली खमत खामना है।

मुनि रवीन्द्र कुमार नीरज ने कहा कि संतो को आना ही विलक्षण क्षण है। सौभाग्यशाली क्षण है की चतुर्विद धर्मसंघ एक स्थान पर आए है। अपनी बुराइयों को शुद्ध मन से बाहर करना ही असली क्षमा याचना है। हम हमारे साधार्मिक को आगे बढऩे में सहयोग करे, तभी समाज तरक्की कर पाएगा। धर्म और समाज तभी आगे बढ़ेगा जब संतो में आपस में दूरी समाप्त होगी।

कार्यक्रम का शुभारम्भ सामूहिक नमस्कार महामंत्र से हुआ। मंगलाचरण महिला प्रकोष्ठ बहिनों के द्वारा किया गया। स्वागत संस्थान कोर्डिनेटर चंद्रप्रकाश चोरडिय़ा ने किया। आभार महेंद्र तलेसरा द्वारा ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का सुन्दर संचालन विजयलक्ष्मी गलूंडिया द्वारा किया गया।

इस अवसर पर जीतो उदयपुर के अध्यक्ष यशवंत आंचलिया, भारतीय जैन संघटना के अध्यक्ष यशवंत कोठारी, जैन जागृति सेंटर के अध्यक्ष सुधीर चित्तौड़ा, ऋतु मारू, नीता छाजेड़, मीना कावडिय़ा, प्रिया झगड़ावात, विजय सिसोदिया, लोकेश कोठारी, श्याम नागोरी, दीपक सिंघवी, अरुण मेहता, भूपेंद्र गजावत, शांतिलाल नागदा, सुमतिलाल दुदावत, ललित लोढ़ा आदि उपस्थित थे।

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