वाणी का उपयोग हमेशा सब जीवों के प्रति प्रेम पूर्वक करना : बालयोगी मुनि श्रुतधरनंदी

By :  vijay
Update: 2024-09-12 10:54 GMT

उदयपुर, 12 सितम्बर। गोवर्धन विलास हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित गमेर बाग धाम में श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गणधराचार्य कुंथुसागर गुरुदेव के शिष्य बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज, मुनि उत्कर्ष कीर्ति महाराज, क्षुलक सुप्रभात सागर महाराज के सान्निध्य में प्रतिदिन वर्षावास के तहत दस लक्षण महापर्व आयोजन की धूम जारी है।

चातुर्मास समिति के महावीर देवड़ा, पुष्कर जैन भदावत, दिनेश वेलावत व कमलेश वेलावत ने संयुक्त रूप से बताया कि गुरुवार को गमेेर बाग धाम में बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज के सान्निध्य में सुरेश पद्मावत, देवेन्द्र छाप्या, ऋषभ कुमार जैन, विजयलाल वेलावत, महावीर देवड़ा, भंवरलाल गदावत, सहित समाजजनों ने दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत को मेवाड़ी पगडï़ी, माला, तिलक, श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र देकर ‘‘सकल दिगम्बर जैन समाज रत्न’’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।

सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, महामंत्री सुरेश पद्मावत ने बताया कि गमेर बाग धाम में तीन व पांच वास-उपवास करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का सम्मान किया गया। उससे पहले सभी का वरघोड़ा निकाल गया। गाजे-बाजे के साथ प्रगति आश्रम से गमेर बाग धाम तक सभी तपस्वियों का वरघोड़ा निकाला। उसके बाद सभी तपस्वियों ने मुनि संघ का आशीर्वाद लिया।

इस दौरान आयोजित धर्मसभा में बालयोगी युवा संत श्रुतधरनंदी महाराज ने प्रवचन में कहंा कि वचनों को पवित्रता प्रदान करने वाला धर्म उत्तम सत्य है। कर्तिकायानुप्रेक्षा में अन्यों को संतापित/पीडि़त करने वाले वचन नहीं बोलना, मात्र हितकारी, मीत वचन बोलना उत्तम सत्य है। तत्वार्थ सूत्र में अकल्याणकारी वचनों को कहना झूठ बताया है। अन्यों को संतापित करने वाले ,अहित और,पापो में प्रवृत्ति को प्रेरित करने वाले वचन सत्य होने पर, भी असत्य है। हित मित प्रिय वचन बोलना, असत्य वचन नही बोलना ,वाणी का उपयोग हमेशा सब जीवों के प्रति प्रेम पूर्वक करना। वाणी को बाण नही वीणा की तरह उपयोग लेना। मेरे शब्दों के माध्यम से किसी भी जीव का दिल न दुखे इसी का नाम उत्तम सत्य है।

कार्यक्रम का संचालन लोकेश जैन जोलावत ने किया। इस अवसर पर अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, विजयलाल वेलावत, पुष्कर जैन भदावत, महावीर देवड़ा, दिनेश वेलावत, कमलेश वेलावत, भंवरलाल गदावत, सुरेश पद्मावत, देवेन्द्र छाप्या, ऋषभ कुमार जैन, भंवरलाल देवड़ा, मंजु गदावत, सुशीला वेलावत, बसन्ती वेलावत, भारती वेलावत, शिल्पा वेलावत, अल्पा वेलावत सहित सकल जैन समाज के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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