पशुगणना 2003 में हुई पहली बार हाथियों की गणना
उदयपुर । राज्य में पहली बार पशुगणना 1919-20 में की गई थी। किन्तु हाथियों की गणना घरेलू / पालतू पशुओं के रूप में पहली बार 2003 में आयोजित 17 वीं पशुगणना की गई। इस गणना में राज्य में मात्र 64 हाथी थे जिसमें 18 नर एवं 46 मादा हाथियों की संख्या थी। 2019 में की गई 20 वीं पशु पशुगणना में इनकी संख्या बढ़कर 120 हो गई जिसमें 5 नर एवं 115 मादा हाथी थे। यह जानकारी पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने विश्व हाथी दिवस पर पशुपालन डिप्लोमा विद्यार्थियों से चर्चा करते हुए दी। डॉ. छंगाणी ने इस अवसर पर बताया कि देश में सर्वाधिक हाथियों की संख्या में क्रमशः कर्नाटक, असम एवं केरल राज्य में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थानों पर है। डॉ. छंगाणी ने कहा कि हाथियों की पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ती हुई लोकप्रियता के कारण हमें इसके संरक्षण, संवर्द्धन एवं विकास के लिये सम्मिलित प्रयास करने होंगे। डॉ. छंगाणी ने बताया कि प्रबंधन की दृष्टि से हाथी से हमें कई बाते सीखने को मिलती है। हाथियों से हमे धैर्य, सहनशीलता, प्रेम, सहयोग, परिवार के प्रति समर्पित, संवेदनशील, बुद्धिमता, यादाश्त, आत्मनिर्भरत सहानुभूति, परोपकारिता आदि सीखने को मिलता है। संस्थान की वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. पदमा मील ने बताया कि हाथियों की औसत आयु 60-70 वर्ष होती है। इनका वजन अनुमानित 2000 से 5000 कि.ग्रा. होता है। हथिनी का गर्भकाल 22 माह का होता है जन्म के समय बछड़ा अनुमानित 100 कि.ग्रा. का होता है। इस अवसर पर संस्थान के डॉ. ओमप्रकाश साहू, पन्नालाल शर्मा एवं पशुपालन डिप्लोमा के विद्यार्थियों ने भी अपने विचार रखे।