सांसद चुन्नीलाल गरासिया ने राज्यसभा में ‘एलपीजी की वहनीयता‘ का मुद्दा उठाया
उदयपुर । सोमवार को राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया ने राज्यसभा में तारांकित प्रश्न के माध्यम से ‘एलपीजी की वहनीयता’ का मुद्दा उठाया। चुन्नीलाल गरासिया ने राज्यसभा में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री से तारांकित प्रश्न संख्या 159 के माध्यम से भारत सरकार से पूछा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों सहित घरेलू एलपीजी सिलेंडरों की वहनीयता बनाए रखने हेतु सरकार द्वारा क्या उपाय किए गए हैं, क्या यह सच है कि देश में घरेलू एल. पी. जी सिलेंडर की कीमत पड़ोसी देशों की तुलना में कम है, सरकार द्वारा अपनी एलपीजी स्रोत रणनीति में विविधीकरण हेतु क्या कदम उठाए गए है, क्या यह भी सच है कि एलपीजी में कम वसूली (अंडर-रिकवरी) के कारण तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को हुए नुकसान की भरपाई सरकार कर रही है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
प्रत्युत्तर में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि भारत अपनी एलपीजी जरूरत का लगभग 60 प्रतिशत आयात करता है और तदनुसार, देश में एलपीजी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इसकी कीमतों से जुड़ी हुई हैं। जबकि औसत सऊदी सीपी (एलपीजी मूल्य निर्धारण के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक) में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई (जुलाई 2023 में 385 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से नवंबर 2025 में 466 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन तक), तो वहीं घरेलू एलपीजी की कीमतों में लगभग 22 प्रतिशत की कमी आई (अगस्त 2023 में 1103 रुपये से नवंबर 2025 में 853 रुपये तक)।
पीएमयूवाई उपभोक्ताओं के लिए एलपीजी को अधिक वहनीय बनाने और उनके द्वारा एलपीजी का निरंतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए, मई 2022 में सरकार ने पीएमयूवाई उपभोक्ताओं को 14.2 किलोग्राम सिलेंडर पर 200 रुपये (और 5 किलोग्राम कनेक्शन के लिए आनुपातिक) की लक्षित राजसहायता शुरू की। सभी घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं के लिए अगस्त 2023 में एलपीजी की कीमतों में 200 रुपये और मार्च 2024 में 100 रुपये की कमी की गई। अक्टूबर 2023 में, सरकार ने लक्षित राजसहायता को बढ़ाकर 14.2 किलोग्राम सिलेंडर पर 300 रुपये (और 5 किलोग्राम कनेक्शन के लिए आनुपातिक) कर दिया।
वि. प. 2025-26 के लिए, सरकार पीएमयूवाई उपभोक्ताओं को 14.2 किलोग्राम सिलेंडर के 9 रिफिल (और 5 किलोग्राम कनेक्शन के लिए आनुपातिक) के लिए 300 रुपये प्रति 14.2 किलोग्राम सिलेंडर की लक्षित राजसहायता प्रदान कर रही है।
दिल्ली में 14.2 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलेंडर का खुदरा विक्रय मूल्य वर्तमान में 853 रुपये है। पीएमयूवाई उपभोक्ताओं को 300 रुपये प्रति सिलेंडर की लक्षित राजसहायत्ता के बाद, भारत सरकार 14.2 किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर 553 रुपये प्रति सिलेंडर की प्रभावी कीमत (दिल्ली में) पर उपलब्ध करा रही है। पीएमयूवाई उपभोक्ताओं के लिए, घरेलू एलपीजी की प्रभावी कीमत में लगभग 39 प्रतिशत की कमी की गई है (अगस्त 2023 में 903 रुपये से नवंबर 2025 में 553 रुपये तक)।
पीएमयूवाई उपभोक्ताओं के लिए घरेलू एलपीजी की पहुंच और वहनीयता में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के परिणामस्वरूप, पीएमयूवाई लाभार्थियों की प्रति कनेक्शन खपत (प्रति वर्ष लिए गए 14.2 किलोग्राम एलपीजी सिलेंडर रिफिल की संख्या के संदर्भ में) 3.68 (वित्त वर्ष 2021-22) से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 4.47 हो गई है।
ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में एलपीजी की पहुँच और उपलब्धता में सुधार लाने के लिए, तेल विपणन कंपनियों ने 1 अप्रैल 2016 से 31 अक्टूबर 2025 तक देश भर में 8,017 डिस्ट्रीब्यूटरशिप शुरू की हैं, जिनमें से 7,420 (अर्थात् 93 प्रतिशत) ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान कर रही हैं। 1 नवम्बर 2025 तक, देश भर में कुल 25,587 एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप हैं। इन्हें देश भर में अवस्थित तेल विपणन कंपनियों (ओएमसीज़) के 214 एलपीजी भरण संयंत्रों के माध्यम से सेवाएँ प्रदान की जाती है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, देश में एलपीजी आच्छादन अप्रैल 2016 के 62 प्रतिशत से बढ़कर अब लगभग संतृप्त हो गया है।
1 नवम्बर 2025 तक पड़ोसी देशों में घरेलू एलपीजी (रुपए/14.2 किलोग्राम सिलेंडर.) सिलेंडर की प्रभावी कीमत भारत (दिल्ली) 553रु., पाकिस्तान (लाहौर)-902.20रू. श्रीलंका (कोलम्बो)- 1227.58रू., नेपाल (काठमांडू) 1205.72रू. है। (स्रोतः पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) दिल्ली में पीएमयूवाई लाभार्थियों के लिए प्रभावी लागत, जबकि गैर-पीएमयूवाई उपभोक्ताओं के लिए प्रभावी लागत 853 रुपये है।
आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय व्यवधानों या भू-राजनीतिक घटनाओं से उत्पन्न जोखिमों को कम करने के लिए, कार्यनीतिक रूप से एलपीजी आयात में विविधता लाने पर काम किया जा रहा है। इस कार्यनीति के तहत, पीएसयू ओएमसी ने हाल ही में कैलेंडर वर्ष 2026 के लिए लगभग 2.2 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) अमेरिकी मूल की एलपीजी के आयात के लिए संविदा किए हैं, जो देश की कुल एलपीजी आयात आवश्यकता का लगनग 10 प्रतिशत है। यह पारंपरिक अरब खाड़ी क्षेत्र के बाहर एक विश्वसनीय वैकल्पिक एलपीजी आपूर्ति स्रोत स्थापित करके भारत की ऊर्जा क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 की अवधि के दौरान, सऊदी सीपी (एलपीजी मूल्य निर्धारण के लिए अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क) 415 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से बढ़कर 712 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गया। तथापि, अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि का पूरा असर खुदरा कीमतों पर नहीं पड़ा, जिससे तेल विपणन कंपनियों (ओएमसीज़) को भारी नुकसान हुआ। ओएमसीज को इन नुकसानों की भरपाई के लिए, सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में ओएमसीज़ को 22,000 करोड़ रुपये का एकमुश्त मुआवजा दिया।
वर्ष 2024-25 के दौरान एलपीजी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें फिर से बढ़ गई और ऊँची बनी रही है। तथापि, उपभोक्ताओं को अंतरराष्ट्रीय एलपीजी की कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए, बढ़ी हुई लागत का बोझ घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं पर नहीं डाला गया, जिससे तीन ओएमसीज़ को भारी नुकसान हुआ। इन नुकसानों के बावजूद, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने देश में वहनीय कीमतों पर घरेलू एलपीजी गैस की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की है। ओएमसीज़ को इन नुकसानों की भरपाई के लिए, सरकार ने हाल ही में ओएमसीज़ को 30,000 करोड़ रुपये के मुआवजे को स्वीकृति दी है।
