पर्यटन स्थलों पर हुई गवरी नृत्यों की प्रस्तुतियां
उदयपुर। माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्था द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी उदयपुर शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर मेवाड़ के प्रमुख पारम्परिक जनजातीय लोकनृत्य नाटिका गवरी का आयोजन किया गया।
संस्थान के निदेशक ओपी जैन ने बताया कि पारम्परिक जनजाति कला एवं संस्कृति के संरक्षण एवं कलाकारों को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष शहर के प्रमुख स्थलों पर गवरी नृत्य का मंचन कराया जाता रहा है। इस वर्ष 11 व 12 सितम्बर को करनाली एवं सुनारिया गांव की गवरी दल द्वारा भारतीय लोक कला मण्डल में प्रस्तुति दी गई। उन्होंने बताया कि 19 व 20 सितम्बर को उण्डीथल एवं बगडूंदा, गोगुन्दा गांव की गवरी दल द्वारा सहेलियों की बाड़ी में तथा 23 व 24 सितम्बर को आयड़ का भीलवाड़ा एवं खारा बामनिया, टीडी के गवरी दल द्वारा फतेहसागर पाल पर गवरी नृत्यों की प्रस्तुतियां करवायी गई। संस्थान द्वारा प्रति गवरी दल 35,000 रुपये सहायता राशि के रूप में प्रदान किए गए।
उल्लेखनीय है कि संस्थान द्वारा पिछले 9 वर्षों से उदयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर गवरी का आयोजन निरन्तर करवाया जाता रहा है। कार्यक्रम का शुभारंभ 11 सितंबर को टीएडी आयुक्त प्रज्ञा केवलरमानी द्वारा किया गया था वहीं फतेहसागर पाल पर कार्यक्रम के समापन अवसर पर टीआरआई निदेशक ओपी जैन द्वारा कलाकारों को सहायता राषि स्वीकृति आदेष प्रदान कर कलाकारांे को प्रोत्साहित किया गया। इस अवसर पर देशी-विदेशी पर्यटकों एवं संस्थान के कला एवं संस्कृति प्रभारी श्रीमती प्रज्ञा सक्सेना, निदेशक (सांख्यिकी) श्रीमती अर्चना रांका, पूर्व सहायक सांस्कृतिक अधिकारी भगवान लाल कच्छावा उपस्थितरहे।