साहित्यकारों ने कहा - बाल साहित्य की पुस्तकें पहुंचनी चाहिए प्रत्येक विद्यालय में
उदयपुर । अब तक कुल ग्यारह पुस्तकें लिख चुकी वरिष्ठ साहित्यकार आशा पाण्डेय ओझा 'आशा' की बाल साहित्य की तीन पुस्तकों पर परिचर्चा व विमोचन का कार्यक्रम राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद उदयपुर के संयुक्त त्तत्वावधान में राजस्थान साहित्य अकादमी के पुस्तकालय प्रांगण में आयोजित हुआ| कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के पूर्व अध्यक्ष डॉ देव कोठारी थे और अध्यक्षता जाने- माने बाल साहित्यकार व बाल वाटिका पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ भैरू लाल गर्ग ने की।
मुख्य अतिथि देव कोठरी ने आशा की पुस्तकों के बारे में कहा कि इस प्रकार की बाल पुस्तकों का हर स्कूल में पहुँचना बहुत जरूरी है। जिससे कि बच्चों में संस्कार और मानवीयता का रोपण हो सके। अध्यक्षता करते हुए डॉ भैरू लाल गर्ग ने कहा कि बाल साहित्य में नैतिकता, देश प्रेम व कर्तव्यपरायणता को और अधिक मुखर करने की आवश्यकता है। आशा पांडे की तीनों पुस्तकें इस पर खरा उतरती हैं। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बच्चों की देश पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ संचय जैन ने इन पुस्तकों में रचे गए इमोशनल इंटेलिजेंस पर बात की और कहा कि तकीनीकी युग में इसकी आज महत्ती आवश्यकता है। उन्होंने अपनी बात में प्रकाशकों से भी एक आग्रह किया है कि वे बच्चों की पुस्तक छापते हुए उनके चित्रों पर विशेष ध्यान दें । बाल साहित्य की विषयवस्तु एवं विधाओं पर कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश पांचाल ने आशा पाण्डेय की तीनों पुस्तकों के गीतों में निहित गेयता, छंद, अलंकारों पर विस्तृत चर्चा की। राजस्थान साहित्य अकादमी के सचिव बसंत सिंह सोलंकी ने तीनों पुस्तकों के शीर्षक और उनमें निहित सामग्री और उसकी उपादेयता पर अपनी बात कही। उल्लेखनीय है कि साहित्यकार आशा पाण्डेय ओझा 'आशा' साहित्य की हर विधा में अपनी कलम चला रही है।
समीक्षा और रचनाओं की सस्वर प्रस्तुतियों ने किया सम्मोहित
आशा पाण्डेय की पहली पुस्तक "खेल - खेल में सीखें" की समीक्षा साहित्यकार डॉ कुंजन आचार्य, तरूण दाधीच व डॉ चंद्रकांता बंसल ने की। दूसरी पुस्तक "चलो चलें हम गाँव" का समीक्षा स्वाति शकुंत, डॉ कामिनी व्यास रावल व शकुंतला पालीवाल ने की। तीसरी पुस्तक "चिड़िया आती आँगन में" पर चर्चा व समीक्षा डॉ कृष्ण बिहारी पाठक हिंडौन सिटी, शिवदान सिंह जोलावास व सुनीता निमिष सिंह ने की। डॉ उपवन पंड्या 'उजाला', डॉ प्रियंका भट्ट ने इन बाल गीतों की पुस्तकों में से सस्वर गीत प्रस्तुत किये। डॉ राजगोपाल बुनकर, प्रकाश तातेड़, प्रोफेसर विमल शर्मा, गौरीकांत शर्मा, डॉ मनीष श्रीमाली, श्री निवास अय्यर, बिलाल पाठन, पी कुमार, सी के व्यास, अनिता देव, मीनाक्षी पंवार, नरेश जी शर्मा, जगदीश तिवारी, रामदयाल मेहरा, राजेश मेहता, खुर्शीद नवाब, अनिता देव, राकेश सूठवाल, पुष्कर गुप्तेश्वर, डॉ रीना मेनारिया, डॉ नितिन मेनारिया , आशीष सिसोदिया, राजस्थान प्रशासनिक सेवा के जितेंद्र पांडे सहित उदयपुर के कई वरिष्ठ साहित्यकार समाजसेवी, शिक्षक, कई संस्थाओं के संस्थापक इस कार्यक्रम में मौजूद थे। संचालन कपिल पालीवाल व विजय मारू ने किया। धन्यवाद करूणा दशोरा ने ज्ञापित किया।