विशेष आलेख अंतिम छोर के व्यक्ति का हो कल्याण ,अंत्योदय सम्बल पखवाड़े से प्रशासन पहुँच रहा योजनाओं के पात्र व्यक्ति तक
उदयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देशों पर इन दिनों राजस्थान सरकार द्वारा चलाए जा रहे ष्पण्डित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़े की अवधारणा न केवल शासन - प्रशासन की सक्रियता का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक सशक्त पहल है। 24 जून से प्रारम्भ हुए तथा 9 जुलाई तक आयोज्य इस पखवाड़े का मूल उद्देश्य समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं और सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करना है, जिससे उसकी गरिमा, आत्मनिर्भरता और जीवनस्तर में गुणात्मक सुधार लाया जा सके।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय दर्शन से प्रेरित इस पखवाड़े का आयोजन राज्य के सभी जिलों में ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर क्रमबद्ध रूप से शिविर लगाकर किया जा रहा है। अंत्योदय यानी ‘अंतिम व्यक्ति का उदय इस सिद्धांत के आधार पर विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा जनकल्याणकारी सेवाओं को एक ही स्थान पर आमजन को उपलब्ध कराया जा रहा है। यह पखवाड़ा प्रशासनिक दक्षता के साथ-साथ संवेदनशील शासन का भी उदाहरण है, जिसमें ग्रामीण जनों को बिना किसी परेशानी या कार्यालयों के चक्कर लगाए अपनी पात्रता अनुसार योजनाओं का लाभ सीधे शिविर स्थल पर ही प्राप्त हो रहा है।
इस पखवाड़े के तहत विभिन्न विभागों की 63 सेवाएं आम नागरिकों के लिए सुलभ की गई हैं। इनमें विशेष रूप से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, महिला एवं बाल विकास, श्रम, चिकित्सा, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी, राजस्व, कृषि, पशुपालन, पंचायत राज, शिक्षा और ऊर्जा विभाग की सेवाएं शामिल हैं। सेवाओं में प्रमुख रूप से लंबित पत्थरगढ़ी और सीमाज्ञान प्रकरणों का निस्तारण,लंबित नामान्तरणों का निस्तारण,लंबित कुरेंजात रिपोर्ट तैयार करना,रास्तों के प्रकरणों का निस्तारण,आपसी सहमति से बंटवारा,पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीबी मुक्त गांव योजना हेतु 10 हजार गांवों के बीपीएल परिवारों का सर्वे,पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीबी मुक्त गांव योजना में बीपीएल परिवारों को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने हेतु आवेदन,स्वामित्व पट्टे बनाना एवं वितरण करना,पानी की टंकियों की साफ-सफाई करवाना,लंबित नल कनेक्शन जारी करना,लीकेज की मरम्मत और जल-दबाव जांच,नहरों के पटरों की सफाई एवं मरम्मत करना,नर्सरियों से पौधा वितरण करना,मृदा नमूनों का संग्रहण एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण करना,मंगला पशु बीमा में रजिस्टर्ड पशुओं का हेल्थ सर्टिफिकेट और पॉलिसी जनरेट करना,पशुओं की जांच, इलाज और टीकाकरण,एनएफएसए अन्तर्गत लंबित प्रकरणों का निस्तारण,आयुष्मान कार्ड वितरण करना,विद्यालयों में प्रवेशोत्सव आयोजित कर नामांकन बढ़ाना,झूलते तार और विद्युत पोल सही करवाना आदि शामिल है।
शिविरों की सबसे बड़ी विशेषता है कि प्रशासन स्वयं लोगों के बीच पहुँच रहा है। जिला कलक्टर, उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, विकास अधिकारी, समेत विभागीय अधिकारी सभी एक मंच पर आमजन से सीधा संवाद कर रहे हैं। यह संवाद केवल औपचारिक नहीं बल्कि समस्याओं के त्वरित समाधान व विश्वास निर्माण की दिशा में एक ठोस प्रयास है। इन शिविरों में आने वाले ग्रामीणों को न केवल योजनाओं की जानकारी मिल रही है, बल्कि पात्रतानुसार ऑनस्पॉट लाभ भी दिया जा रहा है। विशेष रूप से बुजुर्गों, महिलाओं और दिव्यांगजनों के लिए ये शिविर बहुत उपयोगी सिद्ध हो रहे है।
अंत्योदय सम्बल पखवाड़ा सामाजिक समरसता की वह झलक है जहाँ जाति, धर्म, वर्ग या आर्थिक स्तर से ऊपर उठकर व्यक्ति मात्र को सेवा देने का प्रयास किया जा रहा है। यह संवेदनशील प्रशासन का संकेत है कि अब योजनाएं फाइलों में नहीं, बल्कि ज़मीन पर उतर रही हैं। विशेष रूप से अनुसूचित जाति/जनजाति, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, एकल महिला, विधवा व दिव्यांगजनों के लिए यह शिविर आशा की किरण बनकर उभरे हैं। शिविरों में ऑनलाइन डेटा एंट्री, जनाधार सत्यापन, ऑनस्पॉट सेवाएं व लाभ वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इसके साथ ही, राज्य स्तर पर भी पखवाड़े की दैनिक रिपोर्टिंग, पर्यवेक्षण एवं मूल्यांकन की व्यवस्था की गई है, जिससे पारदर्शिता व जवाबदेही बनी रहे।
यह पूरा अभियान पंडित दीनदयाल उपाध्याय के उस दर्शन पर आधारित है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य का धर्म है कि वह अंतिम व्यक्ति की भूख, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और गरिमा की जिम्मेदारी ले। उनकी विचारधारा में समाज का वह व्यक्ति केंद्र में है जो सबसे अधिक उपेक्षित रहा हो। आज जब सरकारी तंत्र उसकी सेवा में स्वयं पहुँच रहा है, तो यह उनके सपनों की पूर्ति की ओर एक मजबूत कदम है।
शासन की इस पहल की पूर्ण सफलता के लिए ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी भी आवश्यक है। जनप्रतिनिधि, स्वयंसेवी संस्थाएं व जागरूक नागरिक इन शिविरों की जानकारी आमजन तक पहुँचाने में महती भूमिका निभा सकते हैं। हर पंचायत स्तर पर प्रचार-प्रसार, जनसंवाद, सोशल मीडिया पोस्टिंग आदि के ज़रिये ग्रामीणों को जागरूक किया जा सकता है कि वे अपने कागजातों के साथ शिविर में उपस्थित होकर योजनाओं का लाभ उठाएं। राज्य सरकार द्वारा चलाया जा रहा ष्पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ाष् एक प्रशासनिक कार्यक्रम मात्र नहीं, बल्कि यह उस संवेदनशील शासन की झलक है जहाँ अंतिम व्यक्ति को केंद्र में रखकर नीतियाँ बनाई और क्रियान्वित की जा रही हैं। यह केवल सेवाओं का वितरण नहीं, बल्कि प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में आत्मविश्वास, गरिमा और विकास का संचार है। यह हमें बताता है कि जब सरकार, प्रशासन और समाज मिलकर कार्य करें तो परिवर्तन केवल सम्भव नहीं, साकार भी होता है।