हीरे तो बहुत है कोहिनूर हीरा की बात ही कुछ और है : जैनाचार्य महाराज

By :  vijay
Update: 2025-08-03 11:54 GMT
हीरे तो बहुत है कोहिनूर हीरा की बात ही कुछ और है : जैनाचार्य महाराज
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उदयपुर, । मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बडे हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है।

 संघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि रविवार को आराधना भवन में गिरनार की भावयात्रा का आयोजन हुआ। संगीतकार ने सभा को भक्तिसंगीत में भावविभोर किया। गिरनार भावयात्रा में गिरनार तीर्थ के प्रत्येक विवरण को ऊपर से नीचे तक शामिल किया गया है, इस महातीर्थ के विशाल इतिहास, जिन शासन के कई प्राचीन नायकों के बलिदान और जिन शासन के गुरु भगवंतों और वर्तमान नायकों द्वारा दिए गए बलिदान और प्रयासों को शामिल किया गया है। गिरनार भावयात्रा के बाद एक हृदयस्पर्शी नाटिका हाकल पडी चे जिन शासन नी... इस भाव यात्रा और नाटक के पीछे का उद्देश्य सभी को गिरनार यात्रा के लिए प्रेरित करना है, कम से कम साल में एक बार, इस आम कहावत के साथ - सौ चलो गिरनार जाये कहते हुए धर्मसभा में मौजूद श्रावक-श्राविकाएं भाव विभौर हो गए।

जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहा प्रभु भक्ति में बहाए गए आँसु से अपार पुण्य का बंध होता है। अपने पापों के पश्चाताप में बहाए गए आँसुओं से अपनी आत्मा पर लगे पाप कर्मों का क्षय हो जाता है। वृक्ष तो बहुत है कल्पवृक्ष दुर्लभ है, वन तो बहुत है नंदनवन दुर्लभ है, पर्वत तो बहुत है, शत्रुंजय पर्वत दुर्लभ है।, हीरे तो बहुत है कोहिनूर हीरा की बात ही कुछ और है, वैसे ही आंसु तो बहुत है, परंतु पाप के पश्चात्ताप के आंसु दुर्लभ है। पानी से शरीर पर रहा मैल दूर होता है जबकि पश्चात्ताप के आँसुओं से पापों का मैल दूर होता है। बाहर से उजले कपडे पहनना, साफ-सुतरा रहना कोई महत्त्वपूर्ण नहीं है। भीतर यदि मैल है, पाप है, तो बाहर की उज्ज्वलता का कोई लाभ नहीं है।, भीतर की उज्ज्वलता पाने के लिए सद्गुरु के आगे अपने पापों की किताब खूली करनी चाहिए।

इस अवसर पर कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण, नरेंद्र सिंघवी, हेमंत सिंघवी, भोपालसिंह सिंघवी, गौतम मुर्डिया, प्रवीण हुम्मड सहित कई श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रही। 

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