व्यापार, युद्ध, सम्बन्ध सभी चीज नीति से होनी चाहिए : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महाभारत के हर एक किरदार ने समाज को क्या दिशा निर्देश दिया उसके बारे में विस्तार से व्याख्या कर श्रावकों का मन मोह लिया है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।
नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि आज नीति की उपेक्षा और अनिति का स्वीकार जिस तरह से हो रहा है वह वाकई में विनाशकारी है। पुरातन काल में युद्ध में भी नीति का उल्लंघन नहीं होता था, राज्यकार्य, व्यापार, नौकरी और सगाई में भी कही अनीति का स्वीकार नहीं होता था इसी कारण से पुरानतकालीन प्रजा के पास संतोष और सत्यत्व था जबकि सामग्री का बढ़ावा होने पर भी आज संतोष और सत्यत्व ही गायब हो रहा है। इसका कारण अनीति का आश्रय है।
इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।