पंडेर में एक माह पहले नरेगा के तहत बनी पुलिया क्षतिग्रस्त, ग्रामीणों का जीवन हुआ अस्त-व्यस्त
भीलवाड़ा। पंडेर कसबे में रैगर मोहल्ला से बंदाकिया तालाब की ओर जाने वाली पुलिया पानी के बहाव से क्षतिग्रस्त हो गई। जिस लेकर ग्रमीणो में आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने बताया की पुलिया एक माह पहले नरेगा के तहत बनी थी, जो टूटकर बह गई। वंही लोगो का कहना है की पंडेर में भ्रष्टाचार की यह एक और दास्तान है, जहां एक और पुलिया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है, उनका खेत खलिहानों से संपर्क कट गया है।
उन्होंने कहा की पंडेर में रैगर मोहल्ला से बंदाकिया तालाब की ओर जाने वाली बाग वाले महादेव के पुलिया के बहाने का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि खाल पर बनी एक और पुलिया, जो ग्रामवासियों को अपने खेतों से जोड़ती है, टूट गई। ग्रामवासियों का कहना है कि पहले की तरह इस पुलिया का निर्माण भी घटिया सामग्री से किया गया था। उन्होंने पहले ही आरोप लगाया था कि गांव की सभी निर्माण कार्य घटिया सामग्री से किए जा रहे हैं, जिसे ग्राम विकास अधिकारी और तकनीकी सहायक ने गलत बताया था, कहते हुए कि पुलिया में सही निर्माण सामग्री का उपयोग हुआ है।
ग्रमीणो का कहना है की पूरे प्रकरण में घटिया सामग्री के प्रयोग और तकनीकी अधिकारियों की भ्रष्टाचार में सम्मिलितता साफ नजर आ रही है, जिससे साबित होता है कि ग्रामवासियों के जान-माल की कीमत पर जमकर भ्रष्टाचार किया गया। एक के बाद एक पुलिया बह रहे हैं और पूरे ग्रामवासी इस घटना की वजह से आक्रोश में हैं। वे अब इस मामले की जांच जिला कलेक्टर के निर्देशन में करवाना चाहते हैं। ग्राम पंचायत पंडेर में एक महीने पहले बनाई गई पुलिया इस सावन की पहली ही बारिश में टूटकर बह गई।
ग्रामवासियों ने यह भी बताया कि निर्माण के दौरान किसी भी प्रकार की गुणवत्ता की जांच नहीं की गई थी। इस दौरान भारी संख्या में आक्रोशित ग्रामीण पुलिया के घटिया निर्माण का अवलोकन करने पहुंचे और यह कोतुहल का विषय बन गया। पूरे गांव में इस भ्रष्टाचार की चर्चा चाय की थड़ियों पर होने लगी। इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं।
ग्रामीणों की मांग है कि ग्राम पंचायत के द्वारा हो रहे निर्माण कार्यों की नियमित और पारदर्शी जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। इस भ्रष्टाचार की जड़ों को उखाड़ फेंकने के लिए ग्रामवासियों का आक्रोश अब खुलकर सामने आ रहा है, और वे चाहते हैं कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले।
पुलिया की दुर्दशा ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते जांच और कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले समय में ऐसी और घटनाएं हो सकती हैं, जिससे गांव का विकास कार्य पूरी तरह से ठप हो जाएगा। उनके अनुसार, अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से गांव की सुरक्षा और संरचना को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
इस घटना ने न सिर्फ प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि ग्रामीणों की जान-माल की सुरक्षा पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। अब समय आ गया है कि इस भ्रष्टाचार की जड़ों को उखाड़ फेंका जाए और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए। ग्रामवासियों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
इस तरह की घटनाओं से भविष्य में बचने के लिए ग्राम पंचायत के सभी निर्माण कार्यों की नियमित और पारदर्शी जांच की जानी चाहिए ताकि भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सके और गांव का विकास सही ढंग से हो सके।