भीलवाड़ा बीएचएन। कृषि विज्ञान केन्द्र, शाहपुुरा द्वारा खुदरा उर्वरक विक्रेताओं हेतु 15 दिवसीय पाठ्यक्रम प्रशिक्षण 4 से 18 अक्टूबर 2025 तक आयोजित गया। प्रशिक्षण समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. आर. एल. सोनी, निदेशक प्रसार शिक्षा, प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर ने बताया कि किसान अन्नदाता है उनके साथ अन्याय नही होना चाहिए अतः खुदरा उर्वरक विक्रेता व्यवसाय में किसानों का हित भी ध्यान में रखे। डॉ. सोनी ने खुदरा उर्वरक विक्रेताओं को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्त्व एवं उपयोगिता से अवगत करवाते हुए बताया कि खुदरा उर्वरक विक्रेता मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशों के अनुसार ही खाद एवं उर्वरक देवें। डॉ. सोनी रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग नही करने एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए खेती की गुणवत्ता सुधारने पर जोर दिया। डॉ. सोनी ने खुदरा उर्वरक विक्रेताओं को व्यवसाय में सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी अपनाने बल देते हुए तीन आर रिस्क, रेपुटेशन एवं रेगुलेशन को अपनाते हुए व्यवसाय करने की आवश्यकता जताई तथा किसानों की सेवा को असाधारण सेवा बताया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष तथा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. सी. एम. यादव ने केन्द्र की गतिविधियों से अवगत करवाते हुए प्रशिक्षणार्थियों को उर्वरक उपयोग दक्षता बढ़ाने के उपाय बताये तथा टिकाऊ खेती समन्वित कृषि प्रणाली, फसल विविधीकरण, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन आदि विषयों पर जानकारी देकर उनका ज्ञान वर्धन किया। जैविक खेती और उसके लाभ, कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, वर्मीकम्पोस्ट खाद, वर्मीवॉश व डिकम्पोजर आदि बनाने का प्रायोगिक कार्य प्रशिक्षणार्थियों सेे करवाकर समझाया। उद्यान वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण पाठ्यक्रम सह समन्वयक डॉ. राजेश जलवानिया ने जिले में उर्वरकों की मांग, आपूर्ति एवं संभावनाओं पर चर्चा करते हुए प्रशिक्षणार्थियों को आह्वान किया कि जो युवा अपने गाँव या कस्बे में स्वरोजगार शुरू करना चाहते है, उनके लिए यह शानदार मौका है कि वे मात्र 15 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त कर खाद उर्वरक बेचने का लाईसेन्स प्राप्त कर सकेंगे। पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. हीरा लाल बुगालिया ने खाद, बीज व उर्वरको के भण्डारण के बारे में जानकारी के साथ ही स्टॉक रजिस्टर में बीज व उर्वरको का इन्द्राज एवं एफ.पी.ओ. के गठन व इसके महत्त्व पर प्रकाश डाला। तकनीकी सहायक अनिता यादव ने उर्वरकों के सन्तुलित उपयोग, मृदा परीक्षण के महत्त्व एवं मिट्टी नमूना लेने का तरीका, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पोषक तत्व प्रबन्धन, समन्वित पोषक तत्व की कमी के लक्षण आदि के बारे में बताया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि प्रगतिशील कृषक हीरा लाल जी एवं लक्ष्मी लाल जी चपलोत ने भी अपने विचार व्यक्त किए। 15 दिन तक चले प्रशिक्षण में जिले के 45 संभागियो ने भाग लिया जिन्हें सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।