शक्करगढ़ में उमड़ा श्रद्धालुओं का सागर-: स्वामी अमराव जी महाराज के प्रथम निर्वाण महोत्सव का दिव्य समापन
शक्करगढ़ मूलचन्द पेसवानी। शक्करगढ़ के श्री संकट हरण हनुमत धाम में मंगलवार को ब्रह्मलीन संत स्वामी अमराव जी महाराज के प्रथम निर्वाण महोत्सव का समापन श्रद्धा और भक्ति की अनूठी छटा के बीच हुआ। सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों का जनसैलाब उमड़ता रहा। वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिकता और आस्था से भरा नजर आया।
प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा
वृंदावन के आचार्य पंडित मुकेश शास्त्री के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्वामी अमराव जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। मंत्रों, शंखध्वनि और ढोल नगाड़ों की गूंज से पूरा परिसर भक्तिमय बन गया। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सद्गुरु भगवान की जय के नारों से वातावरण को गुंजायमान किया।
भागवत कथा का समापन
प्रतिष्ठा के बाद कथा स्थल पर विश्राम दिवस कथा आयोजित की गई। महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी जगदीश पुरी ने भागवत कथा के अंतिम प्रसंगों का मनोभावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने कहा कि कथा का अंतिम दिन जीवन के सार, भक्ति, शरणागति और मोक्ष के महत्व को समझाने वाला होता है। संत ने कहा कि सच्चे गुरु शरीर छोड़ने के बाद भी भक्तों के साथ रहते हैं।
संतों के उपदेश
समागम में देशभर से आए संतों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। हरिद्वार से आए स्वामी दिव्यानंद पुरी महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन का उद्देश्य केवल प्रभुभक्ति है। भागवत महापुराण को उन्होंने अमृत-रस का स्रोत बताया। मुंबई से आए महामंडलेश्वर विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज ने कहा कि संतों का आगमन समाज के पुण्यों का उदय होता है और वे सत्य का संदेश लेकर आते हैं।
संतों की उपस्थिति
समागम में ओंकारेश्वर के स्वामी सच्चिदानंद गिरी महाराज, स्वामी विजयानंद महाराज, राजेन्द्र पुरी महाराज, स्वामी चित्त प्रकाश महाराज और सर्वचैतन्य महाराज सहित अनेक संत-महापुरुष उपस्थित रहे।
श्रद्धांजलि सभा और भंडारा
आश्रम परिसर में बुधवार तीन दिसंबर को प्रातः दस बजे से सवा बारह बजे तक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी। आश्रम के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र जोशी ने बताया कि कार्यक्रम में संतों, समाजसेवियों और भक्तों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित कर स्वामी अमराव जी महाराज के जीवन और सेवाओं को याद किया जाएगा। इसके बाद बारह बजे से पुष्पांजलि और पूर्णाहुति भंडारा होगा, जिसमें भक्तजन प्रसाद ग्रहण करेंगे।
