कबराड़िया गांव में 45 साल बाद निकली घास बावजी की ऐतिहासिक सवारी, श्रद्धा और उल्लास का माहौल

Update: 2025-10-22 18:05 GMT



कबराड़िया राकेश जोशी //  जिले के कबराड़िया गांव में बुधवार को आस्था और उल्लास का अनोखा संगम देखने को मिला। गांव में करीब 45 साल बाद घास बावजी की ऐतिहासिक सवारी निकाली गई। इस मौके पर पूरे क्षेत्र में भक्ति और उत्सव का माहौल छा गया।

ढोल-नगाड़ों और जयकारों से गूंजा गांव

घास बावजी की सवारी सुबह पूजा-अर्चना के बाद मंदिर परिसर से रवाना हुई। ढोल-नगाड़ों, भजन-कीर्तन और जयकारों के साथ सजी यह शोभायात्रा गांव के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरी। ग्रामीणों ने जगह-जगह आरती उतारी, फूल वर्षा की और प्रसाद वितरण किया। “घास बावजी की जय” के जयकारों से पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा।

45 वर्ष बाद पुनर्जीवित हुई परंपरा

ग्रामीणों के अनुसार, करीब 45 वर्ष पहले अंतिम बार यह सवारी निकाली गई थी। इसके बाद किसी कारणवश यह परंपरा रुक गई थी। इस वर्ष गांव के युवाओं ने पहल करते हुए बुजुर्गों के मार्गदर्शन में आयोजन को पुनर्जीवित किया।

भक्ति और एकता का प्रतीक

सवारी के दौरान घास बावजी की प्रतिमा को आकर्षक फूलों और सजावट से अलंकृत किया गया। श्रद्धालु दूर-दराज़ के गांवों — जैसे मालीखेड़ा, भरलियास, पांसल आदि से भी पहुंचे। शाम तक मंदिर प्रांगण में भजन संध्या और प्रसाद वितरण हुआ।

ग्रामीणों ने बताया कि इस आयोजन ने न केवल भक्ति की परंपरा को जीवित किया, बल्कि गांव में एकता, प्रेम और सहयोग की भावना को भी फिर से मजबूत किया है।

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