इंटरनेट की तगड़ी स्पीड के लिए कौन-सा 5G बैंड वाला स्मार्टफ़ोन खरीदना होगा सही
एक जियो के पास 5G के लिए एफआर 1 में n28 (700 MHz) और n78 (3300 MHz) स्पेक्ट्रम बैंड है। एफआर 2 में n258 (26 GHz) स्पेक्ट्रम बैंड है। जियो n78 बैंड पर अपनी स्टैंड-अलोन आर्किटेक्चर 5G सर्विस देता है।
एयरटेल के पास एफआर 1 बैंड में n8 (900MHz), n3 (1800MHz), n1 (2100MHz) और n78 (3300 MHz) स्पेक्ट्रम है जबकि एफआर 2 बैंड में कंपनी ने पास n258 (26 GHz) स्पेक्ट्रम है। कंपनी 5G के लिए नॉन स्टैंड-अलोन आर्किटेक्चर 5G सर्विस देती है।
5G फ्रीक्वेंसी बैंड की रेंज और स्पीड को लेकर 3 कैटेगरी
5G फ्रीक्वेंसी बैंड रेंज और स्पीड को लेकर 3 भागों - लो फ्रीक्वेंसी बैंड, मिड फ्रीक्वेंसी बैंड और हाई फ्रीक्वेंसी बैंड में बांटा जाता है।
लो फीक्वेंसी बैंड
सब 1 गीगा हर्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड को लो बैंड फ्रीक्वेंसी रेंज कहा जाता है। इनकी फ्रीक्वेंसी तो कम होती है लेकिन इसकी वेवलेंथ लंबी होती है। इस नेटवर्क के लिए कम लागत आती है। लो बैंड फ्रीक्वेंसी रेंज इंडोर कवरेज और एंड टू एंड कवरेज में फायदेमंद होती है। इसका इस्तेमाल कम आबादी वाली जगहों के लिए किया जाता है। लेकिन इसके साथ हाई स्पीड इंटरनेट नहीं मिलती।
यह 4G में काफी तेज होता है। भारत में इसके लिए n5 (850MHz), n8 (900MHz), n20 (800MHz) और n28 (700MHz) स्पेक्ट्रम बैंड लो फ्रीक्वेंसी बैंड में आते हैं। जियो के पास n28 (700MHz) स्पेक्ट्रम बैंड उपलब्ध है।
मिड फ्रीक्वेंसी बैंड
1 से लेकर 6 गीगाहर्ट्ज के फ्रीक्वेंसी बैंड को मिड बैंड के नाम से जाना जाता है। मिड फ्रीक्वेंसी बैंड की में कवरेज एरिया काफी बड़ा होता है। इसमें वेवलेंथ थोड़ा छोटा होता है। लेकिन स्पीड को लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं आती।
इसमें 4G सर्विस के मुकाबले 10 गुना से ज्यादा की स्पीड मिलती है। इस सर्विस का इस्तेमाल ज्यादा आबादी और इंटरनेट कनेक्शन वाले शहरी इलाकों में किया जाता है। भारत में n1 (2100MHz), n3 (1800MHz), n40 (2300MHz), n41 (2500MHz), n77 (3300 – 4200MHz) और n78 (3300 – 3800MHz) 5G बैंड इसके लिए हैं। जियो और एयरटेल दोनों ही कंपनियों के पास n78 (3300 – 3800MHz) 5G बैंड मौजूद हैं। एयरटेल के पास n3 बैंड भी है।
हाई फ्रीक्वेंसी बैंड
हाई फ्रीक्वेंसी बैंड के साथ 5G में अल्ट्रा स्पीड मिलती है। इसे मिलीमीटर वेब का नाम भी दिया जाता है। इसका वेवलेंथ छोटा होता है। यही वजह है कि इसे तैयार करने की लागत ज्यादा होती है। 4G के मुकाबले इस बैंड पर 50 से 100 गुना ज्यादा स्पीड पाई जा सकती है। इसके तहत 24 से लेकर 52 गीगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम बैंड आते हैं।भारत में n258 (26GHz (24.25 – 27.5 GHz)) बैंड्स को आवंटित हुए हैं।