डोनल्ड ट्रंप को क्यों नहीं मिला शांति पुरस्कार? नोबेल समिति ने बताई बड़ी वजह
नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप** तमाम कोशिशों के बावजूद इस साल का **नोबेल शांति पुरस्कार** नहीं जीत पाए। यह सम्मान **वेनेजुएला की लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता मारिया कोरिना माचाडो** को मिला। ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर और रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने का श्रेय खुद को देने की कोशिश की थी, लेकिन इन प्रयासों को समिति ने **“दावे मात्र”** बताया।
क्या बोले समिति के अध्यक्ष?
नोबेल समिति के अध्यक्ष **जॉर्गेन वाटने फ्राइडनेस** ने पुरस्कार की घोषणा के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा —
> “हर साल हजारों नामांकन और अभियान आते हैं। लेकिन हम किसी भी राजनीतिक प्रचार या मीडिया शोर के आधार पर निर्णय नहीं लेते। नोबेल शांति पुरस्कार का फैसला अल्फ्रेड नोबेल की मूल भावना — **साहस, निष्ठा और वास्तविक शांति के प्रयासों** — पर आधारित होता है।”
उन्होंने साफ कहा कि ट्रंप का नाम पुरस्कार के लिए गंभीरता से विचार में भी नहीं था। समिति का मानना है कि **सिर्फ सार्वजनिक बयान या कूटनीतिक दावे शांति के लिए पर्याप्त नहीं हैं**, इसके लिए ठोस और दीर्घकालिक कदम जरूरी होते हैं।
गौरतलब है कि ट्रंप के कार्यकाल के दौरान भारत-पाकिस्तान सीमा तनाव और रूस-यूक्रेन संकट में **कोई स्थायी समाधान नहीं निकला**। इसके उलट, माचाडो को **लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करने** के लिए यह सम्मान दिया गया।
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