आयुष्मान योजना :: इलाज से पहले जांच का खर्च मरीज की जेब पर भारी

Update: 2025-06-08 05:40 GMT
इलाज से पहले जांच का खर्च मरीज की जेब पर भारी
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आयुष्मान योजना में इलाज से पहले जांच का खर्च मरीज की जेब पर भारी पड़ रहा है। इस योजना में शामिल होने से पहले मरीज को बीमारी की पहचान करना जरूरी है। पहचान होने के बाद निजी अस्पताल को आयुष्मान के पोर्टल पर आवेदन करना होगा, यदि उक्त बीमारी योजना में कवर होगी तो मरीज को अस्पताल में इलाज की सुविधा मिल पाएगी।


विशेषज्ञों का कहना है कि इस योजना का लाभ केवल भर्ती होने वाले मरीजों को ही मिल पाएगा। योजना में ऐसे मरीज शामिल नहीं हो पाएंगे जिन्हें ओपीडी स्तर पर इलाज मिल सकता है, जबकि दिल्ली के अस्पतालों में आने वाले करीब 80 फीसदी ओपीडी स्तर पर ही इलाज करवाते हैं। सर्जरी या दूसरे कारणों से भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम रहती है

मरीजों का कहना है कि बीमारी की पहचान करना ही जटिल काम है। कैंसर सहित दूसरे गंभीर मरीज की पहचान के लिए मरीज को निजी अस्पतालाें में काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। वहीं सरकारी अस्पतालों के भरोसे पर रहने वाले मरीजों की जांच में ही महीनों गुजर जाते हैं।

अस्पताल कर रहे मना

दिल्ली गेट स्थित संजीवनी अस्पताल में इलाज करवाने आए एक मरीज ने बताया कि आयुष्मान कार्ड को देखकर निजी अस्पताल मना कर देते हैं। कई अस्पतालों में जाने के बाद यहां इलाज का मौका मिला। उनका कहना है कि रोग की पहचान के लिए पहले काफी पैसे खर्च करने पड़े। उसके बाद ही सर्जरी की सुविधा मिल पाई। उन्होंने कहा कि भर्ती होने के बाद किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती

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