पुलिस को आईना दिखाने की कोशिश:: चोरों ने चोरी के बाद पैम्फलेट चिपकाकर दी खुली चुनौती, लिखा– ‘जनता की अदालत शुरू हो चुकी है, गब्बर आ गया है’
राजस्थान के पाली जिले में घटित एक अनोखी वारदात ने पुलिस और ग्रामीण समाज दोनों को चौंका दिया है। जैतपुर थाना क्षेत्र के पांचपदरिया गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हुई चोरी महज सामान्य वारदात नहीं रही। यहां चोरों ने चोरी करने के बाद पुलिस के खिलाफ पैम्फलेट चिपका कर ऐसा संदेश छोड़ा, जिसने पूरे इलाके में हलचल मचा दी।
चोरों ने स्कूल की दीवारों और पोषाहार कक्ष में 11 टाइप किए हुए पैम्फलेट चिपकाए। इनमें न केवल चोरी का ‘औचित्य’ बताया गया बल्कि पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हुए गंभीर आरोप भी लगाए गए। पैम्फलेट में थाने के ASI और स्टाफ को रिश्वतखोर बताते हुए लिखा गया– “यहां का ASI खुद को फिल्मी सिंघम और दूसरा टाइगर समझता है।” साथ ही, अंत में धमकी भरे शब्द लिखे गए– “जनता की अदालत शुरू हो चुकी है, गब्बर आ गया है।”
वारदात कैसे हुई?
यह घटना 15 से 17 अगस्त के बीच घटित हुई, जब स्कूल में तीन दिन की छुट्टी थी। इस दौरान चोरों ने स्कूल के पोषाहार कक्ष का ताला तोड़ा और अंदर घुस गए। पुलिस जांच में सामने आया कि चोरों ने यहां न केवल गैस सिलेंडर, बर्तन और खाद्य सामग्री चोरी की, बल्कि कमरे में बैठकर शराब भी पी।
घटना का खुलासा 18 अगस्त को हुआ, जब स्कूल प्रशासन ने दरवाजे टूटे देखे और पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची तो वहां दीवारों पर चिपके 11 पैम्फलेट देखकर दंग रह गई।
पैम्फलेट का विवादित संदेश
चोरों ने इन पैम्फलेट्स में थाने और पुलिस कर्मियों को कटघरे में खड़ा करते हुए तीखे वाक्य लिखे। इनमें प्रमुख बातें थीं–
“जैतपुर थाने का ASI हड़मान सिंह खुद को सिंघम और टाइगर समझता है।”
“वह ग्रामीणों की जेब से रुपये निकालता है।”
“यह थाना तस्करों का स्वर्ग और चोरों की जन्नत है।”
“हम मजबूरी में चोरी करते हैं, लेकिन यहां पुलिस ही असली गुनहगार है।”
“जनता की अदालत शुरू हो चुकी है... गब्बर आ गया है।”
“अपने बच्चों को कुछ भी बनाना, पर पुलिस में भर्ती मत करवाना।”
इन पैम्फलेट्स में पुलिसकर्मियों के नाम भी लिखे गए थे, जिनमें ASI हड़मान सिंह, हेड कॉन्स्टेबल मोडाराम, कॉन्स्टेबल राकेश मेघवाल, जीतेन्द्र कुमार, महेंद्र सिंह और चम्पालाल का जिक्र था।
---
पुलिस की प्रतिक्रिया
जैतपुर थाना SHO राजेंद्र सिंह ने बताया कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। पैम्फलेट्स जब्त कर लिए गए हैं और आरोपियों की तलाश जारी है। SHO का कहना है कि यह काम किसी साइको अपराधी का भी हो सकता है, जो जानबूझकर पुलिस की छवि खराब करना चाहता है।
फिर भी पुलिस इस घटना को चुनौती मानते हुए इसे सुलझाने में जुट गई है। थाने में विशेष टीम गठित कर आस-पास के संदिग्धों से पूछताछ शुरू कर दी गई है।
चोरों की मंशा– अपराध या संदेश?
इस घटना का सबसे रोचक पहलू यह है कि चोर केवल सामान ले जाने तक ही नहीं रुके, बल्कि उन्होंने एक संदेश देने की कोशिश की।
पैम्फलेट में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए।
रिश्वतखोरी, ग्रामीणों का शोषण और गश्ती व्यवस्था की खामियों का उल्लेख किया गया।
खुद को ‘मजबूर’ और ‘मसीहा’ बताकर उन्होंने पुलिस को आईना दिखाने की कोशिश की।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अपराधियों की ओर से पुलिस को बदनाम करने और जनता के बीच सहानुभूति पाने की कोशिश भी हो सकता है।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
ग्रामीणों के बीच इस वारदात को लेकर तरह-तरह की चर्चाएँ हैं।
कुछ ग्रामीणों का कहना है कि पैम्फलेट में लिखी बातें पूरी तरह झूठी नहीं हैं। पुलिस का रवैया अक्सर दबंगई भरा होता है और गरीब तबके को प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसे चोरों की सोची-समझी चाल बताते हैं, ताकि वे जनता के बीच ‘रोबिनहुड’ जैसी छवि बना सकें।
---
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह घटना सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठाती है।
आखिर स्कूल जैसे संवेदनशील स्थान पर तीन दिन तक किसी को भनक क्यों नहीं लगी?
गश्त और निगरानी का दावा करने वाली पुलिस तीन दिन तक नदारद क्यों रही?
चोरों को इतना वक्त कैसे मिला कि वे चोरी करने के बाद आराम से शराब पी सकें और पैम्फलेट चिपका सकें?
यह सवाल स्थानीय प्रशासन और पुलिस के लिए चिंतन का विषय हैं।
---
पुलिस की छवि और जनता का भरोसा
राजस्थान ही नहीं, पूरे देश में पुलिस की छवि को लेकर लंबे समय से बहस होती रही है।
कई बार पुलिस पर भ्रष्टाचार, पक्षपात और दबंगई के आरोप लगते रहे हैं।
इस मामले में भी चोरों ने इन्हीं बिंदुओं को उठाकर जनता को अपनी ओर खींचने की कोशिश की।
यदि जनता के बीच यह संदेश गूंजने लगता है कि पुलिस ईमानदार नहीं है, तो समाज में कानून व्यवस्था पर से भरोसा डगमगा सकता है।
---
आईना दिखाने की कोशिश या शरारत?
इस वारदात को दो नजरियों से देखा जा सकता है–
1. आईना दिखाने की कोशिश – चोरों ने पुलिस की कार्यप्रणाली की खामियों को सामने रखने का तरीका चुना। उन्होंने आम लोगों के मन में बैठे आक्रोश को शब्द दिए।
2. शरारत और गुमराह करना – यह भी संभव है कि असली मकसद सिर्फ चोरी को अलग रंग देना हो। पैम्फलेट लगाकर पुलिस को गुमराह किया जाए, ताकि असली अपराधी पकड़ से बाहर रहें।
पाली जिले की यह घटना एक साधारण चोरी की वारदात से कहीं ज्यादा है। यहां चोरों ने पुलिस को खुली चुनौती देते हुए न केवल सामान चुराया बल्कि पैम्फलेट चिपका कर अपनी ‘जनता की अदालत’ की घोषणा कर दी।
अब यह पुलिस के लिए बड़ी परीक्षा है–
क्या वह अपराधियों को जल्द पकड़ पाएगी?
क्या पैम्फलेट में लगाए गए आरोपों की सच्चाई की जांच होगी?
और क्या पुलिस अपनी छवि सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएगी?
यह वारदात न केवल कानून व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करती है बल्कि पुलिस और जनता के बीच गहराते अविश्वास की ओर भी इशारा करती है।
फिलहाल गांव और जिले में चर्चा सिर्फ एक ही बात की है– चोर आए, चोरी की... और जाते-जाते पुलिस को आईना दिखा गए।
