जोधपुर-जैसलमेर हादसे के बाद सख्त हुआ परिवहन विभाग: भीलवाड़ा में 10 स्लीपर कोच बसें जब्त

Update: 2025-10-17 14:03 GMT



भीलवाड़ा हलचल।

जोधपुर-जैसलमेर हाईवे पर एसी बस में आग लगने से 22 लोगों की मौत के बाद भीलवाड़ा जिले में परिवहन विभाग एक्शन मोड में आ गया है। जिले में स्लीपर और वीडियो कोच बसों की गहन जांच शुरू की गई, जिसमें कई खामियां सामने आई हैं। जांच के दौरान भीलवाड़ा और शाहपुरा में अब तक 10 बसें जब्त की जा चुकी हैं।14 बसों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए चालान बनाए गए और जुर्माना आरोपित किया गया


जिला परिवहन अधिकारी रामकृष्ण चौधरी ने हलचल को बताया कि शुक्रवार को भीलवाड़ा से गुजरने वाली स्लीपर बसों की जांच की गई। निरीक्षण में पाया गया कि कई बसों में इमरजेंसी एग्जिट नहीं थे,



 

अग्नि सुरक्षा उपकरण नहीं रखे गए थे, सीटों को मॉडिफाई किया गया था और गैलरी इतनी संकरी थी कि किसी दुर्घटना की स्थिति में निकलना मुश्किल हो।

इसके अलावा, कुछ बसों में पर्दों की जगह शटर लगाए गए थे, जो आसानी से खुल भी नहीं पाते—यह गंभीर सुरक्षा खतरा माना गया।

चौधरी ने बताया कि भीलवाड़ा परिवहन विभाग द्वारा 5 बसें जब्त की गई हैं, जबकि शाहपुरा परिवहन विभाग ने 5 अन्य बसों को जब्त किया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि यदि जांच में खामियां मिलीं तो बस मालिकों को सुधार का मौका और सीमित समय दिया जाएगा, लेकिन तय समय में सुधार नहीं होने पर आरसी (रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र) जब्त कर लिया जाएगा।


इस कार्रवाई से जिलेभर में स्लीपर कोच बस संचालकों में हड़कंप मच गया है।

स्लीपर बसों में इमरजेंसी एग्जिट सिर्फ नाम के लिए, अंदर स्टोरेज बनाकर बना रखे हे । ज्यादातर बसों में इमरजेंसी एग्जिट का नाम तक नहीं हे । कुछ बसों में इमरजेंसी एग्जिट की जगह सीट बना रखी हे । कई बसों में इमरजेंसी एग्जिट इतनी छोटी थी कि नॉर्मल कंडीशन में भी कोई व्यक्ति उसमें से बाहर नहीं निकल सकता है। इमरजेंसी एग्जिट की हाइट इतनी थी कि ऊपर से कूदना भी नामुमकिन था।

मध्य प्रदेश की और से आने वाली बसों में छत ,गोपनीय बनाई रेक और गैलरी तक में विभिन्न फसलों की उपज भरी होती हे जिससे चलना भी दुर्भर होता हे , सवारिया ज्यादा होने पर यात्री गैलरी तक में सोते हे ऐसे में आम दिनों में भी यात्रियों को उतरने चढ़ने में दकक्ते होती हे .




 

एसी और वायरिंग का पैनल इ​नबिल्ट होता है, फ्लाई, फोम और कपड़े की सीटों के कारण आग चंद मिनटों में फैल जाती हे । बड़ा सवाल... जब बसों का रजिस्ट्रेशन आरटीओ कार्यालय में होता है, तो क्या अधिकारी बस की भौतिक जांच को जरूरी नहीं समझते? क्या सारी जांच कागजों पर पूरी कर दी जाती है? अगर एआईएस मानकों के अनुसार बसों का निर्माण होता, तो शायद जैसलमेर जैसी त्रासदी कभी नहीं होती। जैसलमेर अग्निकांड की शिकार बस पूरी तरह से बंद थी, ऐसे में पहले धुआं उठा। कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाईऑक्साइड और हाइड्रो कार्बन जैसी गैस बनी और बस अंदर से ऐसे गैस चैंबर जैसी बन गई, जिसने उसमें सवार लोगों का जलने से पहले ही दम घोंट दिया। बसों का निर्माण ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (AIS) के मानकों के तहत होना चाहिए। इनमें सुरक्षा के लिहाज से एआईएस-153, स्लीपर बसों के निर्माण के लिए एआईएस-119 और बॉडी डिजाइन के लिए एआईएस-52 के नियम तय हैं। जांच में सामने आया कि इन नियमों का पालन न तो बॉडी निर्माण के दौरान किया गया और न ही रजिस्ट्रेशन के वक्त।

असल में बसों के संचालन को लेकर अब नियमों में बदलाव की सख्त जरूरत है। पुरानी या मॉडिफाइड बसों को परमिट देने से पहले वायरिंग, एसी इंस्टॉलेशन और फायर सेफ्टी की जांच अनिवार्य होनी चाहिए। कई बस संचालक पुरानी बसों को मॉडिफाइड करवाकर परमिट ले लेते है, ऐसे में हादसे का खतरा बढ़ जाता है। पिछले दिनों हुए हादसे के बाद लंबी दूरी पर जाने वाले लोगों में डर पैदा हो गया है। वे सुरक्षित यात्रा का ऑप्शन तलाश रहे हैं।


Tags:    

Similar News