राम मंदिर के शिखर पर पीएम मोदी ने किया ध्वजारोहण; बोले- सदियों के घाव भर रहे
अयोध्या।
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के छह सौ तिहत्तर दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को राम मंदिर के शिखर पर ध्वजा फहराई। दोपहर ग्यारह बजकर पचास मिनट पर अभिजीत मुहूर्त में बटन दबाते ही दो किलो वजनी केसरिया ध्वजा मंदिर के एक सौ इकसठ फीट ऊंचे शिखर पर लहराने लगी। इसी के साथ मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण घोषित हो गया।
अयोध्या में धर्म ध्वज फहराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'मुझे बहुत खुशी है कि राम मंदिर का ये दिव्य प्रांगण भारत के सामूहिक सामर्थ्य की भी चेतना स्थली बन रहा है. यहां सप्त मंदिर बने हैं. माता शबरी का मंदिर जनजातीय समाज के प्रेमभाव और आतिथ्य की प्रतिमूर्ति है. निषादराज का मंदिर उस मित्रता का साक्षी है, जो साधन नहीं, साध्य को और उसकी भावना को पुजती है.' उन्होंने आगे कहा, 'यहां माता अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य और संत तुलसीदास के मंदिर हैं. रामलला के साथ-साथ इन सभी ऋषियों के दर्शन भी यहीं पर होते हैं. यहां जटायु जी और गिलहरी की मूर्तियां भी हैं, जो बड़े संकल्पों की सिद्धि के लिए हर छोटे से छोटे प्रयास के महत्व को दिखाती हैं.'
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'ये धर्मध्वज प्रेरणा बनेगा कि प्राण जाए, पर वचन न जाए अर्थात जो कहा जाए, वही किया जाए. ये धर्मध्वज संदेश देगा- कर्मप्रधान विश्व रचि राखा अर्थात विश्व में कर्म और कर्तव्य की प्रधानता हो. ये धर्मध्वज कामना करेगा- बैर न बिग्रह आस न त्रासा, सुखमय ताहि सदा सब आसा यानी भेदभाव, पीड़ा, परेशानी से मुक्ति और समाज में शांति एवं सुख हो.'
ये संघर्ष से सृजन की गाथा है- PM मोदी
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'ये ध्वज... संकल्प है, सफलता है! ये ध्वज... संघर्ष से सृजन की गाथा है, सदियों से चले आ रहे स्वप्नों का साकार स्वरूप है. ये ध्वज... संतों की साधना और समाज की सहभागिता की सार्थक परिणीति है.'
जैसा सपना देखा था, उससे भी शुभकर मंदिर बना- मोहन भागवत
मोहन भागवत ने कहा कि इस दिन के लिए कितने राम भक्तों ने अपने प्राण अर्पण किए. मंदिर बनने में भी समय लगता है. यह धर्म ध्वज है. इसका भगवा रंग है. इस धर्मध्वज पर रघुकुल का प्रतीक कोविदार वृक्ष है. कोविदार वृक्ष दो देव वृक्षों के गुणों का समुच्चय है. धर्मध्वज को शिखर तक पहुंचाना है. आज हमारे संकल्प की पुनरावृत्ति का दिवस है. सबको शांति बांटने वाला, सुफल देने वाला भारतवर्ष हमें खड़ा करना है. जैसा सपना देखा था कुछ लोगों ने, बिल्कुल वैसा, उससे भी अधिक शुभकर यह मंदिर बन गया है.
यह भगवा ध्वज धर्म का प्रतीक है- CM योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'यह भव्य मंदिर 140 करोड़ भारतीयों की आस्था और स्वाभिमान का प्रतीक है. मैं इसके लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन करता हूं. यह ध्वज इस बात का प्रमाण है कि धर्म का प्रकाश अमर है और रामराज्य के सिद्धांत कालजयी हैं. 2014 में जब पीएम मोदी प्रधानमंत्री बने, तो करोड़ों भारतीयों के हृदय में जो आस्था जगी थी, वह अब इस भव्य राम मंदिर के रूप में प्रकट हो रही है. यह भगवा ध्वज धर्म, निष्ठा, सत्य, न्याय और राष्ट्र धर्म का प्रतीक है.'
भगवान राम की पावन नगरी एक नए दौर में प्रवेश कर चुकी है- सीएम योगी आदित्यनाथ
रामनगरी अयोध्या में ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह के दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह नए युग की शुरुआत है. यह भव्य मंदिर 140 करोड़ भारतीयों की आस्था का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर पर लहराता यह केसरिया ध्वज धर्म का, भारत की संकल्पना का प्रतीक भी है. संकल्प का कोई विकल्प नहीं. योगी आदित्यनाथ ने 'लाठी-गोली खाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' नारे का भी उल्लेख किया और कहा कि भगवान राम की पावन नगरी एक नए दौर में प्रवेश कर चुकी है. हर प्रकार की सुविधा आज अयोध्या धाम में है. उन्होंने अयोध्या में हुए विकास के काम भी गिनाए और जय जय श्रीराम के नारे के साथ अपनी बात पूरी की.
ध्वजारोहण के समय प्रधानमंत्री भावुक नजर आए। उन्होंने धर्मध्वजा के सामने हाथ जोड़कर प्रणाम किया। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी और मोहन भागवत ने राम मंदिर की पहली मंजिल पर बने रामदरबार में पूजा और आरती की। प्रधानमंत्री ने रामलला के दर्शन किए और उनके लिए वस्त्र तथा चंवर अर्पित किए। उन्होंने सप्त ऋषियों के दर्शन किए, भगवान शेषावतार लक्ष्मण की पूजा की और जलाशय का अवलोकन भी किया।
ध्वजारोहण से पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने साकेत कॉलेज से रामजन्मभूमि तक लगभग डेढ़ किलोमीटर का रोड शो किया। मार्ग में स्कूली बच्चों ने पुष्पवर्षा की और विभिन्न स्थानों पर महिलाओं ने परंपरागत तरीके से उनका स्वागत किया।
पहले यह चर्चा थी कि इस समारोह में अमिताभ बच्चन सहित कई फिल्मी हस्तियों को आमंत्रित किया गया है, लेकिन अब तक कोई सेलेब्रिटी कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंचा था। हालांकि देश भर के विभिन्न मठों के संत राम मंदिर परिसर में मौजूद रहे। चारों शंकराचार्य इस आयोजन में शामिल नहीं हुए।
अयोध्या शहर को एक हजार क्विंटल फूलों से सजाया गया है। सुरक्षा व्यवस्था पांच स्तरीय रखी गई है। एटीएस और एनएसजी कमांडो ने पूरे परिसर को सुरक्षा घेरे में लिया है। इनके साथ एसपीजी, सीआरपीएफ और पीएसी के जवान भी तैनात हैं।
सुबह रामलला की आरती की गई। आज रामलला को सोने और रेशमी धागों से बने पीतांबर वस्त्र पहनाए गए हैं। मंदिर पर लगाई गई नई धर्मध्वजा को इस प्रकार बनाया गया है कि गंभीर तूफान में भी सुरक्षित रहे और हवा बदलने पर बिना उलझे सहजता से घूम सके। इसके दंड पर इक्कीस किलो सोना मढ़ा गया है। यह ध्वजा चार किलोमीटर दूर से भी दिखाई देगी।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के 673 दिनों बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा का ध्वजारोहण करेंगे। पीएम मोदी अयोध्या पहुंच चुके हैं और सुबह मंदिर परिसर में कई धार्मिक अनुष्ठान किए।
✔ सुबह की गतिविधियां
पीएम मोदी ने सप्त ऋषियों के दर्शन किए।
भगवान शेषावतार लक्ष्मण की विशेष पूजा की।
मंदिर प्रांगण में स्थित जलाशय (सरयू जल से भरा हुआ) भी देखा।
ध्वजारोहण से पहले राम दरबार में विधिवत पूजा-अर्चना की।
✔ धर्म ध्वजा की पहली झलक सामने आई
सोशल मीडिया और न्यूज़ एजेंसियों के माध्यम से धर्म ध्वजा की पहली तस्वीर सामने आई है।
कई सेवादार और कारीगर मिलकर इस झंडे को संभालते दिख रहे हैं।
✔ धर्म ध्वजा की खासियत
आकार: समकोण त्रिभुजाकार
ऊंचाई: 10 फीट, लंबाई: 20 फीट
रंग: केसरिया
वजन: 2–3 किलोग्राम
डिज़ाइन: अहमदाबाद के एक प्रसिद्ध पैराशूट स्पेशलिस्ट द्वारा
क्षमता: मंदिर की 161 फीट ऊंची चोटी और 42 फीट ऊंचे ध्वज स्तंभ पर तेज हवाओं को झेलने लायक
✔ ध्वजा पर बने विशेष चिन्ह
दीप्तिमान सूर्य : भगवान राम की तेजस्विता और वीरता का प्रतीक
ॐ का पवित्र चिन्ह : आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक
कोविदार वृक्ष की आकृति : समृद्धि, धैर्य और वैदिक संस्कृति का प्रतीक
यह ध्वजा गरिमा, एकता और सांस्कृतिक निरंतरता का संदेश देती है तथा इसे रामराज्य के आदर्शों का दृढ़ प्रतीक माना जाता है।
✔ मंदिर परिसर की भव्यता
मुख्य मंदिर की बाहरी दीवारों पर वाल्मीकि रामायण से जुड़े 87 प्रसंग पत्थर पर उकेरे गए।
परकोटे की दीवारों पर भारतीय संस्कृति के 79 कांस्य दृश्य स्थापित।
मंदिर का परकोटा लगभग 800 मीटर लंबा, जो दक्षिण भारतीय वास्तुकला शैली में निर्मित है।
जबकि मुख्य मंदिर उत्तर भारतीय नागर शैली में बना है, जो संपूर्ण परिसर को वास्तुशिल्प विविधता देता है।
