नई टैरिफ नीति से CNG और घरेलू गैस हुई सस्ती, पूरे देश में समान दर लागू

Update: 2025-12-31 14:22 GMT

नई दिल्ली। भारत के नेचुरल गैस बाजार में उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी है। पेट्रोलियम और नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड (PNGRB) द्वारा पाइपलाइन टैरिफ में हालिया बदलाव का सीधा फायदा ग्राहकों को मिलने लगा है। कई सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों ने कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) और पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) यानी घरेलू पाइप वाली कुकिंग गैस की कीमतें कम करना शुरू कर दिया है।



थिंक गैस ने सबसे पहले कदम उठाते हुए 1 जनवरी 2026 से नई टैरिफ व्यवस्था लागू होने से पहले ही कई राज्यों में CNG और घरेलू PNG की कीमतों में कटौती की घोषणा कर दी है। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम उपभोक्ताओं को तुरंत राहत देने के लिए उठाया गया है।सूत्रों के मुताबिक, अन्य सिटी गैस ऑपरेटर जैसे इंडियन ऑयल-एडानी गैस, गुजरात गैस और महानगर गैस भी आने वाले दिनों में कीमतों में कमी की घोषणा कर सकते हैं। PNGRB ने 16 दिसंबर को नेचुरल गैस पाइपलाइनों के लिए नया तर्कसंगत टैरिफ स्ट्रक्चर जारी किया था, जो 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होगा।

नेचुरल गैस का इस्तेमाल मुख्य रूप से बिजली उत्पादन, उर्वरक निर्माण, CNG और घरेलू खाना पकाने के लिए किया जाता है। नए नियमों के तहत सबसे बड़ा बदलाव दूरी-आधारित टैरिफ जोन में किया गया है। पहले जहां तीन जोन थे, अब उन्हें घटाकर सिर्फ दो कर दिया गया है:

पहला जोन: 300 किलोमीटर तक की दूरी

दूसरा जोन: 300 किलोमीटर से अधिक दूरी

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि CNG और घरेलू PNG उपभोक्ताओं के लिए अब पूरे देश में एक समान कम दर लागू होगी। गैस स्रोत से दूरी चाहे कितनी भी हो, सभी के लिए जोन-1 की दर ही लागू होगी, जो लगभग 54 रुपये प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (MMBTU) है।

पहले दूर के क्षेत्रों में ज्यादा टैरिफ लगता था, जिससे वहां CNG और PNG महंगी पड़ती थी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से दूर-दराज के शहरों और राज्यों में CNG और PNG की कीमतें काफी कम होंगी, जिससे वाहन चलाने और घरेलू रसोई का खर्च घटेगा। साथ ही स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा और प्रदूषण नियंत्रण में भी मदद मिलेगी।

उद्योग जगत ने PNGRB के इस कदम की सराहना की है। उनका कहना है कि एकसमान टैरिफ से नेचुरल गैस का बाजार पूरे देश में एकरूप हो जाएगा और नए क्षेत्रों में सिटी गैस नेटवर्क का विस्तार तेज होगा। उपभोक्ताओं के लिए यह नया साल वाकई राहत भरा होने वाला है, क्योंकि जेब पर पड़ने वाला गैस का बोझ अब हल्का पड़ने लगा है।


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