जयपुर। सरकार के दो वर्ष पूरे होने से पहले ही मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, इस फेरबदल का मुख्य आधार पार्टी के अंदर गुटों का संतुलन और क्षेत्रीय-जातीय प्रतिनिधित्व होगा। शेखावाटी, मेवाड़, पूर्वी राजस्थान और आदिवासी बहुल इलाकों से नए चेहरों को मौका दिए जाने की चर्चा है। साथ ही गुर्जर और मेघवाल समुदायों को अधिक प्रतिनिधित्व देने की मांग भी जोर पकड़ रही है।
**कौन-कौन हो सकते हैं शामिल**
सूत्रों के अनुसार कालीचरण सराफ, अनिता भदेल, श्रीचंद कृपलानी और पुष्पेंद्र सिंह राणावत को एक बार फिर मौका मिलने की संभावना है। इसके अलावा जयदीप बिहाणी, हंसराज मीणा, आदूराम मेघवाल और रामविलास मीणा जैसे नामों पर भी चर्चा जारी है।
**वसुंधरा राजे गुट को साधने की कवायद**
मंत्रिमंडल फेरबदल में वसुंधरा राजे के प्रभाव वाले गुट को संतुष्ट करने की रणनीति पर काम चल रहा है। इसके तहत इस गुट के कुछ नेताओं को भी समायोजित किया जा सकता है ताकि पार्टी में आंतरिक एकजुटता बनी रहे। इसके साथ ही यह फेरबदल सिर्फ खाली पद भरने तक सीमित नहीं रहेगा। कई नॉन-परफॉर्मिंग मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है और कुछ मौजूदा मंत्रियों के विभागों में बदलाव भी संभावित है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इन दिनों मंत्रियों के कामकाज का मूल्यांकन करवा रहे हैं और परफॉर्मेंस के आधार पर अंतिम निर्णय लेंगे।
**पंचायत चुनाव को ध्यान में रखकर रणनीति**
आगामी पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों को देखते हुए भाजपा नेतृत्व सरकार और संगठन दोनों में मजबूत संदेश देना चाहता है। इसलिए जातीय-क्षेत्रीय संतुलन के साथ परफॉर्मेंस को भी प्राथमिकता दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में अपने आवास पर विभिन्न क्षेत्रों के विधायकों और नेताओं से बंद कमरे में मुलाकात कर फीडबैक लिया। इसे मंत्रिमंडल फेरबदल से पहले की अंतिम समीक्षा प्रक्रिया माना जा रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि अगले साल होने वाले पंचायत और निकाय चुनावों से पहले भाजपा नेतृत्व सरकार की टीम को अधिक संतुलित, परफॉर्मेंस आधारित और चुस्त-दुरुस्त बनाना चाहता है।
