नोटबंदी के 9 साल बाद भी 'कैश का राजा' बना रियल एस्टेट, 66% खरीदार कर रहे नकदी में भुगतान!
जिस नोटबंदी को रियल एस्टेट से काला धन खत्म करने का हथियार बताया गया था, वह भारत के प्रॉपर्टी बाजार के सामने फेल साबित हुई है। एक विस्फोटक सर्वे में खुलासा हुआ है कि संपत्ति के लेन-देन में नकदी का इस्तेमाल खत्म होने के बजाय आज भी "किंग" बना हुआ है, और भ्रष्टाचार की जड़ें पहले से भी गहरी हैं।⚠️ काला धन: 3 में से 2 नागरिक कैश दे रहेलोकलसर्किल्स (LocalCircles) द्वारा 301 जिलों के 39,000 से अधिक नागरिकों पर किए गए सर्वे ने देश के प्रॉपर्टी सेक्टर में काले धन के बेशर्म इस्तेमाल की परतें खोली हैं:जबरदस्त खुलासा: पिछले तीन वर्षों में संपत्ति खरीदने वाले तीन में से दो (करीब 66%) नागरिकों ने यह माना कि उन्होंने लेनदेन मूल्य का एक हिस्सा नकद (Cash) में चुकाया है।दाम छुपाने का खेल: एक-चौथाई से ज्यादा (26%) लोगों ने तो प्रॉपर्टी की आधी से ज्यादा (50% से अधिक) रकम कैश में चुकाई है!इसका साफ मतलब है कि लोग टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस बचाने के लिए व्यापक रूप से प्रॉपर्टी की कीमत को जानबूझकर कम (Undervalue) दिखा रहे हैं।💰 आधी रकम कैश में, क्यों?सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि प्रॉपर्टी के दाम छुपाकर टैक्स चोरी का यह खेल संगठित रूप से चल रहा है:कैश भुगतान की सीमाखरीदारों का प्रतिशत50% से अधिक26%30% से 50%19%🤯 सिर्फ काला धन नहीं, रिश्वत भी 'अनिवार्य'!नकदी के व्यापक इस्तेमाल के अलावा, सर्वे ने रेगुलेटरी सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार को भी उजागर किया है:44% संपत्ति खरीदारों ने यह पुष्टि की है कि उन्हें खरीद प्रक्रिया के दौरान तीन या अधिक एजेंसियों या व्यक्तियों को "रिश्वत" (Bribe) देनी पड़ी है।यह डेटा बताता है कि रियल एस्टेट में काले धन की समस्या की जड़ें टैक्स चोरी के मकसद और सरकारी मशीनरी में फैले कथित भ्रष्टाचार में काफी गहरे तक हैं।🚧 नोटबंदी का दावा हवा-हवाईलोकलसर्किल्स ने साफ कहा है कि महानगरों में बिल्डर से फ्लैट खरीदने में भले ही नकदी का इस्तेमाल कुछ कम हुआ हो, लेकिन जमीन, प्लॉट या पुरानी पारिवारिक संपत्तियों के लेन-देन में कैश अब भी पूरी तरह से 'किंग' बना हुआ है।9 साल बाद भी सवाल: काले धन को खत्म करने के उद्देश्य से की गई नोटबंदी के बावजूद, रियल एस्टेट सौदों में नकद लेन-देन का जारी रहना सरकारी दावों पर एक बड़ा सवालिया निशान लगाता है।संसद में शेयर किए गए आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में इनकम टैक्स विभाग ने 30,444 करोड़ रुपये की अघोषित आय (काला धन) का पता लगाया है, लेकिन रियल एस्टेट की यह हकीकत बताती है कि जमीनी स्तर पर लड़ाई अभी बाकी है।