मेक्सिको…एक ऐसा देश जिस पर अमेरिका ने खुद 25% का टैरिफ लगा रखा है और अतिरिक्त टैरिफ थोपने की धमकियां दे रहा है, वो ही देश भारत, चीन, साउथ कोरिया, थाईलैंड जैसी अर्थव्यवस्थाओं पर 50% टैरिफ क्यों लगा रहा है. इस टैरिफ का भारत के एक्सपोर्ट पर क्या असर पड़ेगा, जबकि अमेरिका के साथ कोई ट्रेड डील को लेकर कोई खोज खबर नहीं है. तो इस नए टैरिफ से भारत कैसे निपटेगा. ये कुछ सवाल हैं, जो इस वक्त सभी के दिमाग में घूम रहे हैं.
मेक्सिको ने भारत पर टैरिफ क्यों लगाया?
इस सवाल का जवाब एक तो वो है जो सामने दिख रहा है, एक वो है जो पर्दे के पीछे है. सामने वाला जवाब ये है कि इस पर मेक्सिको सरकार ने आधिकारिक बयान जारी किया है. जिसमें उसने बताया है कि ये फैसला घरेलू इंडस्ट्री का संरक्षण करने के लिए लिया गया है. राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबॉम की सरकार का तर्क है कि ज्यादा टैरिफ लगाने से घरेलू चीजें बनाने वाली फैक्ट्रियों और लोगों की नौकरियां बचेंगी. इससे विदेशों से बहुत ज्यादा सस्ती चीजें आने से होने वाली होड़ कम होगी. खासकर कार, कपड़े, लोहा, प्लास्टिक, जूते और दूसरी रोजमर्रा की चीजों के क्षेत्र में ऐसा किया जा रहा है. मैक्सिको के अधिकारी इसे व्यापार में गड़बड़ी दूर करने और विदेशी सामान पर निर्भरता कम करने का तरीका भी बता रहे हैं. इससे मेक्सिको की घरेलू कंपनियों को भारत समेत दूसरे एशियाई देशों से आने वाली सस्ती चीजों के मुकाबले बराबरी का मौका मिलेगा.
क्या ट्रंप के आगे झुक गया मेक्सिको
अब ये बात कुछ सुनी-सुनी सी लगती है, डॉनल्ड ट्रंप ने भी कुछ ऐसा ही कहा था जब उन्होंने दुनिया भर में टैरिफ थोपना शुरू किया था. मेक्सिको अचानक से एशियाई देशों पर उतना ही टैरिफ लगाने का फरमान जारी कर दे, जितना अमेरिका ने किया हुआ है, ये बात इशारा करती है कि पर्दे के पीछे का खेल कुछ और है, क्योंकि एक इमर्जिंग इकनॉमी जो खुद ट्रेड के दम पर ही आगे बढ़ रही है, वो अमेरिका की पॉलिसी के समानांतर टैरिफ लगाने का फैसला करेगी, या फिर ये कहा जाए कि ट्रंप के दबाव के आगे मेक्सिको झुक गया. मेक्सिको क्यों ट्रंप के आगे झुक गया इसको समझना मुश्किल नहीं है -
देखिए, अमेरिका मेक्सिको का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. अमेरिका के साथ वो रिश्तों को खट्टा नहीं करना चाहेगा. मेक्सिको अपनी अर्थव्यवस्था के लिए काफी हद तक अमेरिका पर निर्भर है. अगर अमेरिका ये कह दे कि तुम मुझे या चीन में से किसी एक को चुनो, तो मेक्सिको हमेशा अमेरिका को ही चुनेगा और ये काम वो अमेरिका को खुश करने के लिए करेगा.
मैक्सिको USMCA (United States-Mexico-Canada Agreement) का हिस्सा है. अगले कुछ महीनों में इसकी समीक्षा होनी है. ट्रंप USMCA की मुखालफत करते आए हैं. कुछ एक्सपर्ट्स ये मानते हैं कि ये कदम USMCA की अगली समीक्षा से पहले अमेरिका को खुश करने का तरीका है, ताकि ट्रंप के टैरिफ से बचा जा सके. ट्रंप ने पहले ही मेक्सिको पर 25% का टैरिफ लगा रखा है और कई बार और टैरिफ लगाने की धमकियां देते रहे हैं.
ट्रंप एशियाई देशों से आने वाले सामानों को रोकना चाहते हैं, खासकर उन सामानों को जो इन एशिायाई देशों से पहले मेक्सिको जाते हैं, फिर वहां से कुछ वैल्यू एड होकर मेक्सिको के रास्ते अमेरिका पहुंच जाते हैं. ट्रंप कहते हैं कि मेक्सिको एशियाई देशों के लिए एक बैकडोर की तरह काम कर रहा है. ये टैरिफ से बचने का एशियाई देशों का तरीका है. इसलिए इसको बंद करना होगा.
भारत के पास क्या रास्ता है?
देखिए अभी भारत का मेक्सिको के साथ कोई फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) नहीं है, जिसकी वजह से ये टैरिफ बड़ा झटका साबित हो सकता है. भारत और मेक्सिको के बीच कई सेक्टर्स में ट्रेड होता है, सबसे बड़ा ऑटो सेक्टर, IT, फार्मा है. टैरिफ बढ़ने से ग्लोबल सप्लाई चेन में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. तो भारत के पास अब क्या रास्ता होगा, कि वो इन टैरिफ के झटकों को झेल सके.
भारत को मेक्सिको के टैरिफ झटकों को झेलने के लिए अपना एक्सपोर्ट पोर्टफोलिया डायवर्सिफाई करना पड़ेगा, मतलब अन्य देशों के साथ भारत को अपना ट्रेड बढ़ाना होगा. जैसे कि UAE, जिसके साथ भारत ने साल 2022 में CEPA (Comprehensive Economic Partnership Agreement) किया था. ये 90% भारतीय एक्सपोर्ट पर टैरिफ नहीं लेता है. ब्राजील के साथ PTA यानी प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट है. ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत का फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) है, लेकिन यह एक अंतरिम समझौता है. अगर भारत इन देशों के साथ अपने एक्सपोर्ट सप्लाई को मोड़ सका तो असर कम हो सकता है.
भारतीय एक्सपोर्टर्स ने EEPC, SIAM, ACMA जैसे संगठनों के जरिए जुलाई 2025 से ही मेक्सिको के साथ FTA की लॉबिंग शुरू की ताकि भारतीय सामान पहले मेक्सिको भेजें, वहां थोड़ा वैल्यू एडिशन करके फिर USMCA के नियमों के तहत US पहुंचा दिया जाए. इससे US टैरिफ से बचा जा सकेगा. क्योंकि USMCA में सदस्य देशों (मेक्सिको) के सामान पर टैरिफ कम या जीरो होता है. लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली थी.
USMCA की पहली संयुक्त समीक्षा जुलाई 2026 में होगी. यह समीक्षा USMCA को 16 साल और बढ़ाने, संशोधित करने या 2036 में समाप्त करने का फैसला लेगी. चूंकि भारत USMCA का सदस्य नहीं है, लेकिन यह रिव्यू उसके लिए अप्रत्यक्ष रूप से फायदेमंद हो सकता है. समीक्षा से पहले ट्रंप प्रशासन मेक्सिको पर दबाव डालेगा कि वह गैर-FTA देशों (जैसे भारत, चीन) से आयात सीमित करे, इससे मेक्सिको भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) या प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट (PTA) के लिए हाथ बढ़ा सकता है. लेकिन ये तभी होगा जब समीक्षा पॉजिटिव हो.
दूसरी तरफ, अब भारत सरकार को भी द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को तेज करना करना होगा. इन इंडस्ट्री बॉडीज ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी लिखकर तुरंत FTA/PTA की मांग की है, खासकर ऑटो, स्टील और इंजीनियरिंग सेक्टर्स को लेकर. इससे टैरिफ जीरो या कम हो सकता है.
