फरार कॉन्स्टेबल के पत्रों ने मचाई सनसनी: ब्याजखोरी, सट्टेबाजी और जमीन हड़पने जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल हे पुलिस कर्मी
अजमेर: करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के मामलों में फरार चल रहे पुलिस कॉन्स्टेबल पवन मीणा अब लगातार सुर्खियों में हैं। पुलिस उसकी गिरफ्तारी में नाकाम है, लेकिन पवन लगातार मुख्यमंत्री, डीजीपी और अन्य आला अधिकारियों को पत्र लिखकर अपनी सफाई पेश कर रहा है और जिला पुलिस पर गंभीर आरोप लगा रहा है।
पवन का दावा है कि जिले के कुछ पुलिस कर्मी ब्याजखोरी, सट्टेबाजी और जमीन हड़पने जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल हैं। उसने आरोप लगाया कि उन्हीं अधिकारियों ने उसे फंसाने के लिए झूठे मुकदमे दर्ज करवाए। पवन ने अपने पत्रों में यह भी खुलासा किया कि ये पुलिसकर्मी अपनी काली कमाई को अपने परिजनों तक पहुँचाने के लिए उससे करोड़ों रुपए का लेन-देन करवा चुके हैं। पवन ने अपने बैंक खातों और ऑनलाइन पेमेंट की डिटेल्स भी अधिकारियों को भेजी हैं।
पवन का कहना है कि यदि इन पुलिसकर्मियों और गवाहों की जांच की जाए, तो बड़ी साज़िश और फर्जीवाड़े का खुलासा हो सकता है।पवन मीणा के खिलाफ अजमेर के तीन थानों – सिविल लाइंस, क्लॉक टावर और क्रिश्चियनगंज में मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस ने उसके भाइयों प्रदीप और कुलदीप मीणा को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन पवन का कोई सुराग नहीं मिला।क्लॉक टावर थाने में दर्ज मामले के अनुसार, 9 अप्रैल 2025 को कॉन्स्टेबल दीपक वैष्णव ने शिकायत की थी कि पवन और उसके भाई कुलदीप ने जमीन में निवेश का झांसा देकर करोड़ों रुपए हड़प लिए। आरोप है कि दोनों भाइयों ने दावा किया था कि उनके पास हाईवे मास्टर प्लान और बाईपास कनेक्टिविटी से जुड़ी गोपनीय जानकारी है, जिसके आधार पर सस्ती दर पर जमीन दिलवाकर दोगुना-तिगुना मुनाफा दिलाया जा सकता है। इस प्रलोभन में आकर दीपक ने पवन को एक करोड़ रुपए दिए, लेकिन रकम वापस नहीं मिली।
पहली एफआईआर सिविल लाइंस थाने में पुलिसकर्मी वीपी सिंह ने दर्ज करवाई थी। इसके बाद क्रिश्चियनगंज थाने में भी पवन के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ। पुलिस सूत्रों के अनुसार, पवन के पत्रों में लगाए गए आरोपों की उच्च स्तर पर भी जांच हो सकती है।वहीं, जिले की पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही है, लेकिन पवन अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर है।