महाराष्ट्र में मचा हाहाकार,: संदिग्ध बीमारी से एक की मौत और 17 मरीज वेंटिलेटर पर; संक्रमितों की संख्या 101 के पार
मुंबई। महाराष्ट्र के पुणे में रविवार को दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामलों की संख्या 100 के आंकड़े को पार कर गई। सोलापुर से भी एक संदिग्ध की जीबीएस के कारण मौत होने की सूचना मिली है।
प्रारंभिक अपुष्ट रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि पीड़ित को पुणे में संक्रमण हुआ और बाद में वह सोलापुर पहुंचा।
सोलापुर मामले के अलावा, महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने पुणे, पिंपरी चिंचवाड़, पुणे ग्रामीण और कुछ पड़ोसी जिलों में जीबीएस के संदिग्ध 18 अन्य लोगों की भी पहचान की है। विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे 101 मरीजों में से 16 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। इनमें 68 पुरुष और 33 महिलाएं हैं।
कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी जीवाणु संक्रमण के लिए भी सकारात्मक परीक्षण किया गया।
कब होती है GBS बीमारी?
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि रविवार तक 25,578 घरों का सर्वे किया जा चुका है। हमारा मकसद ज्यादा से ज्यादा बीमार लोगों को ढूंढना और जीबीएस मामलों में वृद्धि के लिए ट्रिगर का पता लगाना है।
बताया गया कि जीबीएस का इलाज काफी महंगा है। हर इंजेक्शन की कीमत 20,000 रुपये है। जीबीएस तब होता है जब शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम सहित बैक्टीरिया वायरल संक्रमण पर प्रतिक्रिया देते वक्त दिमाग के संकेतों को ले जाने वाली नसों पर गलती से हमला करती है।
स्वास्थ्य विभाग ने जारी की सलाह
स्वास्थ्य विभाग को 9 जनवरी को पुणे के अस्पताल में भर्ती एक मरीज पर इस क्लस्टर के अंदर पहला जीबीएस मामला होने का संदेह है। परीक्षणों से अस्पताल में भर्ती मरीजों से लिए गए कुछ नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला है। इससे पहले शनिवार को प्रशासन द्वारा जारी किए गए परीक्षण के नतीजों से पता चला था कि पुणे में पानी के मुख्य सोत्र खडकवासला बांध के पास एक कुएं में बैक्टीरिया ई कोली का हाई-लेवल है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि कुएं का उपयोग किया जा रहा था या नहीं। लोगों को सलाह दी गई है कि वे पानी को उबाल लें और खाने से पहले उसे गर्म कर लें।