दुर्गा वाहिनी ने झांसी की रानी का बलिदान दिवस मनाया

Update: 2024-06-17 13:12 GMT

भीलवाड़ा। चमक उठी सन 57 में वह तलवार पुरानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। झांसी की रानी ने देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से युद्ध किया। एक योद्धा की तरह अंग्रेजों से लड़ती रही। झाँसी की रानी की यह वीर गाथा आजाद नगर प्रखंड क्रमांक पर दुर्गा वाहिनी बहनों द्वारा रानी लक्ष्मीबाई झांसी की रानी दिवस के उपलक्ष में कार्यक्रम में बताई गई। वक्ताओं ने बताया की झाँसी की रानी को बाल्यावस्था से शस्त्र व शास्त्रों में रुचि थी, अंग्रेजों सेभारत को आजाद करने के लिए बचपन से ही अपनी सखियों के साथ मिलकर योजना बनाई। १६-17 साल की आयु में एक महिलाओं की सेना तैयार कर दी थी जो पुरुषों के बराबर युद्ध कर सके। आज की वर्तमान परिस्थितियों में दुर्गा वाहिनी की बहनों को भी आत्मरक्षा के लिए शस्त्र चलाना आना चाहिए। अपने शास्त्रों का ज्ञान होना चाहिए कोई भी विधर्मी हम पर बुरी नजर ना डाल सके इसके लिए बहनों को शक्तिशाली बनना चाहिए प्रतिदिन योग व्यायाम करना चाहिए।

महानगर संयोजिका सोनल सुखवाल ने बताया कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से युद्ध करते-करते देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर बलिदान हो गई धन्य है। भारत भूमि जहां नारी भी मर्दानगी बनकर युद्ध करती है आचार् पद्धति वैदेही जी द्वारा, कार्यक्रम में माही झांसी की रानी बनी, काव्य पाठ मोनिका, कानू, प्रखंड संयोजिका सुप्रिया भावना प्रखंड की सभी बहने उपस्थित रही।

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