चर्चा में रही पांसल की बेल पूजा, भड़काया गया लारेंस को

Update: 2024-11-03 08:02 GMT

 भीलवाड़ा। शहर के साथ ही विभिन्न गांव में खेखरा पर्व पर बेलो की पूजा कर उन्हें भड़काया गया ,इस दौरान जमकर आतिशीबाजी भी की गई , पांसल में इस दौरान एक बछड़ा चर्चा का विषय बन गया ।



 


भीलवाड़ा शहर में माली खेड़ा में बेल पूजा की गई इसी तरह सांगानेर और बंसल में भी बेल पूजा का आयोजन किया गया इस दौरान एक बछड़े पर लॉरेंस और हथियार का चित्र भी बनाया गया था जिसे लोगों ने काफी दौड़ाया ।


इसी तरह सवाईपुर कस्बे के ग्रामीण क्षेत्रों में शनिवार शाम बेलों की पूजा-अर्चना कर बैलो को भड़काया गया । जिसमें बेलो को स्नान कराकर उनके सींगो को अलग अलग कलर से सजाया गया है तथा बेलो को तरह तरह के कलर से शरीर चित्र बनाये गए है उसके बाद में मंदिरों के बाहर बेलो को लाया गया है । ग्रामीण शान्ति लाल आचार्य व देवालाल जाट ने बताया कि बेलो की जोड़ियों को चारभुजा नाथ मंदिरों के बाहर में लेकर आये, जहा बैलों की पूजा-अर्चना कर तिलक लच्छा कर, बेलो को लापसी खिलाकर तथा उनको धूप लगा कर भड़काया गया तथा जिसके बाद पटाखे फोड़कर बेलो को भड़काया गया है । बेल पूजन को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी, इसके बाद चारभुजा नाथ को अन्नकूट का भोग लगाकर, अन्नकूट का‌ प्रसाद वितरण किया गया । हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बैलो को दीपावली के दूसरे दिन भड़काया गया है, गांवो में आज भी बेल पूजा की परंपरा जीवित है, जो ग्रामीण अपने-अपने बेलो को सजा-धजा कर भड़काया गया है । बेलो को इस दिन बैलगाड़ी में नही जोता जाता है । इस अवसर पर जहां घरों में बैलों की पूजा होती है, वहीं लोग पकवानों का लुत्फ भी उठाते हैं, इसकी गांव में धूम रहती है । इस दौरान जगह-जगह बैलों की पूजा-अर्चना की होती है। गांवों में किसानों ने सुबह से ही बैलों को नहला-धुला कर सजाते हैं, फिर हर घर में उनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद घरों में बने पकवान भी बैलों को खिलाएं जाते हैं ।।

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