भगवत कृपा से ही भागवत प्रसाद प्राप्त होता है -दिग्विजय राम महाराज

Update: 2024-12-22 14:19 GMT



 

भीलवाड़ा/  

श्रीमद् भागवत कथा का मंगलाचरण हुआ सर्वप्रथम भागवत जी की पूजा अर्चना संत रमता राम एवं दिग्विजय राम द्वारा की गई कथा का शुभारंभ आज 22 दिसंबर से हुआ जो 28 दिसंबर तक आयोजित होगा कलश एवं शोभायात्रा नरसिंह मंदिर गंगापुर से प्रारंभ हुई जिसमें भक्तों के सिर पर भागवत जी को धराया गया, भक्त लोग कीर्तन करते हुए चल रहे थे महिलाएं मंगल गीत गाते हुए साथ-साथ चल रही थी  व्यास पीठ पर अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय शाहपुरा के परम पूज्य संत रमता राम महाराज के शिष्य श्रद्धेय दिग्विजय राम विराजमान थे संत दिग्विजय राम द्वारा पहले दिन बताया गया कि प्राणी के भवसागर से पार होने की नौका श्रीमद् भागवत महापुराण है व्यक्ति जब तक किसी चीज का महत्व नहीं समझता जब तक उसमें उसकी रुचि जागृत नहीं होती है जब तक मन रूपी पात्र साफ नहीं होता है तब तक उसमे खीर रूपी भागवत नही परोसी जा सकती हैं l अतः व्यक्ति को भागवत सुनने से पूर्व अपना मन निर्मल कर लेना चाहिए संपूर्ण एकाग्रता के साथ भागवत सुनना चाहिए भागवत भगवान की शब्द मूर्ति है भगवान का वांग स्वरूप है जिस प्रकार मोबाइल को चलाने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है उसी प्रकार बैकुंठ के द्वार खोलने का पासवर्ड भागवत जी हैं l जहां भागवत होती है वहां स्वयं भगवान श्री कृष्णा विराजमान होते हैं l मीडिया प्रभारी महावीर समदानी में जानकारी देते हुए बताया की कथा के दौरान मुख्य अतिथि आयकर आयुक्त अहमदाबाद संजय पुंगलिया ने भी जन जागृति के लिए भागवत की चेतना जगाने के लिए संदेश दिया कथा के दौरान महाराज श्री ने मनुष्यों को प्रपंच से बचकर भाव से कथा सुनना चाहिए l कथा सुनने वाले को मन प्रभु चरणों में लगाना चाहिए l जो व्यक्ति को ज्ञान ,भक्ति, वैराग्य प्रदान करती है वही भागवत हैl भागवत मनुष्य को बार-बार मरने से बचाती हैं अर्थात बार-बार मरने के कर्म से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती हैl रामायण व्यक्ति को जीना सिखाती है और भागवत मरना सिखाती हैl संसार में शरीर की शुद्धता के लिए तो काफी साधन है परंतु मन के मेल को केवल भागवत ही साफ कर सकती है भागवत से व्यक्ति का मन निर्मल हो जाता है इस संसार में व्यक्ति जीव माया को पकड़ कर चलता है इसलिए हमेशा दुखी रहता है यदि पकड़ना ही है तो ईश्वर के चरणों को पकड़ना चाहिए ताकि मुक्ति मिल सके l इस संसार में सब कुछ परिवर्तनशील है केवल दो ही चीज अ परिवर्तनशील है आत्मा व परमात्मा l प्रभु भजन व राम सुमिरन सुख प्रदान करती है l आज संसार में हर जीव को मृत्यु का भय लगा रहता है जबकि व्यक्ति को मौत का उत्सव मनाना चाहिए क्योंकि मृत्यु तो जीवन का सत्य है l यह जीवन केवल श्वासों का खेल है कोई भी कम या ज्यादा नहीं ले सकता l संसार में सभी प्राणी दुखी है परंतु कोई भी ईश्वर का नाम लेना नहीं चाहता कोई दान नहीं करना चाहता l संत दिग्विजय राम ने भागवत सुनने के कुछ नियम बताएं उनकी पालन करते हुए भागवत कथा सुनना चाहिए प्रथम हो सके तो भागवत सुनने वाले व्यक्ति को व्रत करना चाहिए दूसरा भागवत श्रद्धापूर्वक भक्ति के साथ सुनना चाहिए किसी भी व्यक्ति की निंदा नहीं करना चाहिए भगवत चरणों में प्रेम जागृत कर भागवत कथा सुनना चाहिए भागवत सदा ग्रहण करने योग्य हैं भागवत को रस के समान श्रवण करना चाहिए l भागवत व्यक्ति का कल्याण करती हैं जिस व्यक्ति पर भगवान की कृपा होती है वही व्यक्ति भागवत प्रसाद प्राप्त कर सकता हैl जब व्यक्ति के जीवन में पुण्य संचित होते हैं तब व्यक्ति भागवत सुनने की ओर अग्रसर होता है l इस भागवत रूपी त्रिवेणी की ज्ञान गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति का मोक्ष हो जाता हैl व्यक्ति को संसार की भौतिक वस्तुएं मजा दे सकती हैं लेकिन भगवान की भक्ति व्यक्ति को सदा आनंद प्रदान करती है, मजा आज सुख देता है तो बाद में मजा कभी-कभी सजा का रूप भी बन जाता है l हरि कृपा और हरि इच्छा दोनों से व्यक्ति को आनंद प्राप्त होता है l जो जीवन को आलोकित करें उसे कथा कहा गया है कथा एक दर्पण है जो हमारे जीवन की वास्तविकता को दर्शाती हैl कथा में व्यक्ति को काल से मुक्ति में दिलाने का सामर्थ्य हैl हर जीव को मृत्यु का डर हर समय लगा रहता है

आज भागवत कथा में सुखदेव मुनि के जन्म का वृतांत व गोकर्ण जी की कथा सुनाई l

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