भारत सरकार समाज के लिये करे सिन्धु तीर्थ व पुष्कर कोरिडोर के साथ कुम्भ का निर्माण-महामण्डलेश्वर हंसराम
अजमेर - भारत सरकार समाज के लिये देश के मध्य भाग में नदी किनारे सिन्धु सनातन संस्कृति केन्द्र स्थापित करने की पहल करे एवं तीर्थराज पुष्कर में कुम्भ का आयोजन व कोरिडोर का शीघ्र निर्माण करें। तीर्थराज पुष्कर सभी तीर्थों का गुरू है और यहां ऐसे आयोजन निरंतर होनेे चाहिय,े यह विचार महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन ने ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम में चल रहे बाबा ईसरदास साहिब के शताब्दी महोत्सव पर प्रकट किये। कार्यक्रम में आश्रम के महन्त स्वरूपदास उदासीन, महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का स्वागत किया।
पाठ्यक्रम में संतो के जीवन परिचय व पुष्कर तीर्थ में कोरिडोर का होगा विकास - देवनानी
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि संतो ने जो सुझाव दिये हैं उस पर विचार कर शिक्षा के अन्दर संतों के जीवन परिचय जोडने के साथ पुष्कर तीर्थ में कुम्भ की तरह कोरिडोर की स्थापना के प्रयास किये जायेगें जिससे सनातन की रक्षा हो सके। सनातन संस्कृति का विरोध करने वालों से भी सावधान होना चाहिये।
धर्म संसद व संत दर्शन का आयोजन
सिन्धी समाज को अलग अलग पंथों से छुटकारा देने के लिये सनातन संस्कृति जो अखण्ड है, की सम्पूर्ण ज्ञान के हों प्रयास - महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन
धर्म संसद में देश भर से आयें संतों उपस्थिति में कई विषयों पर चर्चा कर कियांन्वित लाने पर प्रस्ताव पारित किये गये। मुख्यतयः धर्म संसद में पारित प्रस्तावों में सिन्धी समाज की समृद्धि के लिये भारत सरकार को पूर्व में मांग कर रखी है कि 8000 एकड जमीन मध्य भारत में नदी के किनारे स्थान आंवटित किया जाये साथ ही 20000 बीस हजार करोड रूपये राशि का भी प्रावधान रखा जाये। अखण्ड भारत से सिन्ध अलग होने के कारण राज्यविहीन होने के कारण सिन्धू सनातन संस्कृति के संरक्षण व विकास का विशाल शोधपीठ केन्द्र, वेद विद्यालय, गुरूकुल व धार्मिक केन्द्र का निर्माण करवाकर युवा पीढी को जोडा जाये। केन्द्र सरकार समाज को राजनैतिक जिम्मेदारी दी जाये। हमारा कुल देवता महादेव, कुल देवी हिंगलाज माता व धाम जगन्नाथ धाम है। इसका ज्ञान समाज के सभी वर्गों को करवाना है। समाज को स्थिर व मजबूत करने के लिये पूज्य सिन्धी पंचायत के अध्यक्ष / मुखी निर्भय व निष्पक्ष होकर निर्णय दें। समाज में रिश्तों को मजबूत करने व अनुभव करने के लिये वंश वृद्धि का आव्हान - एक बच्चा देश के लिये, एक बच्चा धर्म के लिये व दो बच्चे परिवार के लिये हो। समाज में कुरीतियों को समाप्त करने का भी आव्हान किया गया। उठावने पर ही सारी रस्में पूर्ण न कर बारहवें तक समस्त क्रियायें नियमानुसार नहीं करने, उठावने पर शोक संदेश पढने पर प्रतिबन्ध, अंतिम संस्कार में उपस्थित होकर अपनी ओर से लकडी देना, मृत्यू भोज व प्रसाद/उपहार का बांटना बंद हो, विवाह समारोह/ मांगलिक कार्यक्रमों में अनावश्यक दिखावा ना किया जाये, सामूहिक विवाह/कन्यादान के आयोजन पर अत्याधिक प्रयास करने चाहिये। बच्चों के विवाह अपनी जाति में ही करने के प्रयास हो। सिन्धी भाषा का विश्वविद्यालय शीघ्र स्थापित हो। संविधान की आठवीं अनुसूची में सिन्धी भाषा की मान्यता 10 अप्रेल 1967 को मिलने के बाद भी आज दिनांक तक भारत सरकार द्वारा विश्वविद्यालय की स्थापना नहीं की गई है। इससे शिक्षा के साथ रोजगार के अवसर पर बढेगे।सिन्धू नदी के उद्गम स्थल लेह लद्धाख में हर वर्ष जून में आयोजित होने वाली सिन्धू दर्शन तीर्थयात्राओं को भारत सरकार द्वारा आयोजन किया जाये जिससें सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ तीर्थयात्रियों का व्यय भार भी भुगतान किया जाये।
धर्म संसद में तीर्थराज पुष्कर के महन्त हनुमानराम, किशनगढ से महन्त श्यामदास जी, भीलवाड़ा से गणेशदास जी, चित्तौडगढ से स्वामी गुरुदास, जयपुर से स्वामी गुलराज, संत जयकुमार जी, स्वामी माधवदास, राजकोट से स्वामी अमरलाल, गांधीधाम से महन्त दर्शनदास जी, भावनगर गुजरात से सांई दीपकलाल, फकीर सांई नन्दलाल जी, उज्जैन से महन्त आत्मदास जी, सतना महन्त ख्मियादास जी, महन्त ईश्वरदास जी, महंत संतोषदास जी, महन्त पुरुषोतमदास, इन्दौर से स्वामी मोहनदास जी. भोपाल से बाबा मोहनदास जी, स्वामी तुलसीदास, रीवा से स्वामी हंसदास जी, संत स्वरूपदास जी, उल्लासनगर से महंत अर्जुनदास जी, जबलपुर से स्वामी आसनदास जी, सहित अजमेर के संत महात्मा श्रीराम विश्वधाम के महंत अर्जुनदास, ब्यावर से सांवलदास, श्री ईश्वर गोविन्दधाम के स्वामी ईश्वरदास, निर्मलधाम के स्वामी आत्मदास, प्रेमप्रकाश आश्रम के दादा नारायणदास, जतोई दरबार के भाई फतनदास, गीता मंदिर के भीष्म जी के साथ सिन्धी समाज महासमिति के अध्यक्ष कवंलप्रकाश किशनानी, भारतीय सिन्धू सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, महेश टेकचंदाणी, पाषर्द हेमलता खत्री, मोहनलाल लालवाणी ने भी विचार प्रकट किये।
भजन के गीतों की पुस्तक का हुआ विमोचन
सावलाणी परिवार की ओर संकलन कर प्रकाशित करवाया गया परमआनन्द भजन माला पुस्तक का संत महात्माओं को विमोचन किया गया जिसे धार्मिक आयोजनों के लिये संदेशपूर्ण तैयार करवाया गया है।
यज्ञ अनुष्ठान, पूर्ण आहूति, आर्शीवचन व पल्लव प्रार्थना के साथ समाधि पूजन 13 जनवरी
महेन्द्र कुमार तीथार्णी ने बताया कि श्री सद्गुरू 13 जनवरी को प्रातः 9 बजे यज्ञ अनुष्ठाान पूर्णाहूति, प्रातः 10 बजे से संतो का आर्शीवाद, प्रसादी, सांय 5 बजे समाधि पूजन व आरती, रात्रि 9 बजे पल्लव प्रार्थना के साथ उत्सव का विश्राम किया जायेगा।