भीलवाड़ा BHNराजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) ने राज्य के माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र देकर पदोन्नत कार्मिकों को जबरन कार्यमुक्त नहीं करवाने की मांग की, संगठन के प्रदेशाध्यक्ष नीरज शर्मा ने पत्र के बारे में बताया कि शिक्षा विभाग में दिनांक 12 अप्रैल 2025 को जारी पदोन्नति सूची में हजारों शिक्षकों को व्याख्याता एवं प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नत कर नवीन स्थान पर पद स्थापित किया गया है उक्त पदोन्नति काउंसलिंग में शिक्षकों की मांग के बावजूद सभी रिक्त पद नहीं दर्शा दूरस्थ विद्यालयों को दर्शाया गया जिससे हजारों कार्मिकों को मुख्यालय के निकट पद रिक्त होने के बावजूद सैकडो किलोमीटर दूर पद स्थापित होना पड़ा साथ ही आदेश में यह भी लिखा गया है कि जिन कार्मिकों ने पूर्व में पदोन्नति पर यथास्थान कार्यग्रहण कर लिया था उन्हें अब नवीन पदस्थापन स्थान हेतु अनिवार्यत कार्य मुक्त किया जाए यह शिक्षकों के साथ अन्याय है क्योंकि यथा स्थान कार्यग्रहण के नाम पर शिक्षकों को भ्रमित कर अब दूरस्थ स्थानों पर भेजा जा रहा है, कई कार्मिकों को अन्य जिलों में 500 किलोमीटर दूर तक पदस्थापित किया गया है जिससे कार्मिक परेशान हो रहे है, प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के अनुसार यदि कोई कार्मिक स्वास्थ्य संबंधी या अन्य पारिवारिक कारणों से पदोन्नति का परित्याग करना चाहे तो उसे पदोन्नति परित्याग का अवसर दिया जाये, साथ ही पिछली सरकार के समय प्रारंभ की गई पदोन्नति पर यथास्थान कार्यग्रहण की परिपाटी भी बंद की जानी चाहिए। पदोन्नति पर पूर्व की भांति वास्तविक पदस्थापन पर ही कार्यग्रहण करवाया जाए ताकि शिक्षकों में भ्रम की स्थिति ना रहे। पदोन्नति पर कार्य ग्रहण नहीं करने पर शिक्षकों की आगामी एमएसीपी पुन पदोन्नति पर कार्य ग्रहण तक देय नहीं होती यह आर्थिक नुकसान तो समझ में आता है परंतु सरकार द्वारा विगत वर्षों की पदोन्नति की जाती है एवं पदोन्नति पर कार्यग्रहण नहीं करने पर यदि पदोन्नति वर्ष या उसके बाद की एमएसीपी की वसूली का प्रावधान है जो कि अन्याय पूर्ण है इसकी सजा शिक्षकों को मिलती है और उनका आर्थिक नुकसान होता है, संगठन यह भी मांग करता है कि प्रतिवर्ष पदोन्नति की जाए और पदोन्नति नहीं की जाने पर शिक्षकों से मिले हुए परिलाभों की वसूली प्रक्रिया स्थगित रखी जाए।
