भीलवाड़ा । हमीरगढ़ रोड पर स्थित राम धाम में श्री राम राम रामायण मंडल ट्रस्ट द्वारा आयोजित चातुर्मास प्रवचन जारी हैं। इस आध्यात्मिक अनुष्ठान के दौरान, गुरुवार को परिव्राजकाचार्य स्वामी अच्युतानंद महाराज ने विशेष रूप से भगवान श्री वामन जी के प्राकट्योत्सव पर भक्तों को संबोधित किया। उनके प्रवचन का मूल संदेश अहंकार और अज्ञानता के नाश पर केंद्रित था। स्वामी अच्युतानंद ने अपने संबोधन की शुरुआत समस्त वैदिक सनातनियों को भगवान वामन के प्राकट्योत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए की। उन्होंने कहा कि वामन अवतार का महत्व केवल एक पौराणिक कथा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन के लिए एक गहरा आध्यात्मिक सबक है। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लेकर राजा बलि के अहंकार को समाप्त किया। राजा बलि एक महान दानी और पराक्रमी राजा थे, लेकिन उनके दान का अभिमान इतना बढ़ गया था कि वह स्वयं को ईश्वर से भी बड़ा समझने लगे थे। स्वामी जी ने भक्तों को समझाया कि यह अहंकार ही हमारे पतन का कारण बनता है। जिस तरह वामन भगवान ने तीन पग में पूरी सृष्टि को नाप लिया, उसी तरह वे हमारे अंहकार रूपी अज्ञान को भी एक पल में नष्ट कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "भगवान वामन का प्राकट्योत्सव हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपनी सफलताओं और गुणों का अभिमान नहीं करना चाहिए। सच्चा ज्ञान वही है जो हमें विनम्रता सिखाता है।" उन्होंने आगे कहा कि जब हम विनम्र होते हैं, तभी ईश्वर की कृपा हमारे ऊपर बरसती है। जैसे वामन भगवान ने बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाकर उसे एक नई पहचान दी, वैसे ही ईश्वर हमारे अहंकार का नाश कर हमें सही मार्ग पर ले जाते हैं। प्रवचन के अंत में, स्वामी अच्युतानंद ने भगवान वामन के चरणों में सभी के लिए ज्ञान और विनम्रता की वर्षा की कामना की। उनके प्रवचनों ने भक्तों को भाव-विभोर कर दिया, और पूरा राम धाम 'ॐ शिवोहम ' के जयकारों से गूंज उठा।